सत्संग
चलो रोज थोड़ी देर सत्संग कर लेंकरुणा, दया भाव दिल में भर लेंप्रेम के सागर में डुबकी लगाकरपवित्रता ह्रदय में
Read Moreमैंने देखा —शिव की गूंज में डूबेकंधों पर उठाए भक्ति के भार,पर आंखों मेंज्ञान की उजास नहीं थी…बस नशा था
Read Moreबन जाना नेता, पर विद्या न भूल जाना,भीड़ में भी सोचने का सलीका संभाल लाना।नारे लगाना, भाषण देना अच्छी बात
Read Moreझूले की डोरी से उलझे हैं प्रश्न,हर सावन में मैं स्वयं से टकराती हूँ।मेंहदी रचती हूँ हथेली पर,पर हथेली खुद
Read Moreकुछ लोग अपनेचले जाते हैं।इतनी ख़ामोशी सेकि उनके जाने की आहट भीकानों तक नहीं पहुँचती। फिर हर रोज़मन यही सोचता
Read Moreजमाना आ गया कैसाअहंकारियों का हिय धुक धुक रहा है,समय का दौर देखो आजअडिग शीश झुक रहा है,कथे कहानियां लिख
Read Moreलंबी राह का राही हूँ, मुझ को चलते जाना है।मौजी हूँ अपनी हिम्मत का, मेरा नहीं ठिकाना है।बांधे कफ़न मैं
Read Moreनहीं जाना है उस राह मेंजिससे नहीं है मेरा कोई वास्ता,ला देते हैं रोड़े राहों मेंरोक लेते प्रगति वाला रास्ता,मस्तिष्क
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