कविता : होली
होली ! हाँ कब की होली मैं तो तेरी पिया उस पल से जब तिरछी नजर से तुमने मुझे देखा
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Read Moreधूप से बचने को खड़ा था एक बरगद की छाँव में घूम कर देखा तो खड़ा था विशाल पादप पाँव
Read Moreले चलना हमें कुछ देर कुछ दूर …. तुम अपने साथ आसमान की नीली चादर तले लिए हाथों में
Read Moreगर वो मेरी जिंदगी में न आये होते तो हम भी न किसी गम के सताये होते शाम सहर उनकी
Read Moreदिल को संभाल के रखो दिल दिल है बिल नहीं कि चुकाया और फाड़ दिया दिल फटता है तो कयामत
Read Moreवो सोचते होंगे कितनी आसानी से भुला दिया मैंने उनको कितना हसाया था फिर क्यों रुला दिया मैंने उनको सच
Read Moreआज हम आतंक के साए में जी रहे हैं सच पूछो तो पल-पल आतंक का विष ही पी रहे हैं
Read Moreपाकिस्तान जिंदाबाद है !! जिंदाबाद रहेगा सुन ले ए सियासते ए हिन्दुस्तान तेरा गाँधी मर चुका है अलगाव की आग
Read Moreजब भी पलकें बन्द करती हूँ आंखों के भीतर तुम्हारी आंखें दिखाई पड़ती हैं तुम्हारी आंखें सारी दुनिया भुला कर
Read Moreअपने जख्मो को दिल में छुपातें रहें लबो पर खुशी की लकीर बनातें रहें उसनें क्या कहा मैने क्या सुनी
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