कविता

गीतिका

जीवन है एक सुंदर सपनालगता यहाँ हर कोई अपना कभी हँसाती कभी रुलाती कभी दिखाती प्यारा सपना जैसा भी प्रभु का दिया हैभोग रहे है मान कर अपना नही शिकायत इष्ट देव से करते सदा उनकी वन्दना आराध्य ही पार है लगाते आराधना ही ध्येय अपना शान्ति पुरोहित

कविता

प्रेम और आग

विश्वभर में एक भारत जीता अनेक विविधताओं संग नापाक इरादे रखने वाले खुद को कहते हैं पाक के रखवाले सीमा पर बरसाते नये-नये आग के रंग भारत करता प्रेम कि वर्षा फिर भी नहीं बुझती नापाक की द्देष और ईर्ष्या अब नीर ना बहेगा अब प्रेम को भारत ना तरसेगा बहुत कर लिया प्रेम वार्ता […]

कविता

सूखे दरख्त की पीड़ा

हां!मै समझ सकती हूं,नदी के किनारे अब तक खड़े,उस सूखे दरख्त की पीड़ा,….. जिसने जाने कितने सावन अपने भीतर सोखे, कितनी सर्दियां ठिठुरता रहा अकेला, जिसे फलों का बोझ उठाकर भी हर बार पत्थरों की चोटें ही मिली, जाने कितने पतझड़ खुद से अपनों की तरह पत्तों के बिछड़ने का दर्द सहा, जाने कितनी प्रेम […]

कविता

गीत — शशि पुरवार

मनमोहन का जाप जपे है साँस साँस अब मोरी नटखट कान्हा ने गोकुल में कितने स्वाँग रचाये कंकर मारे, मटकी तोड़ी माखन-दही चुराये यमुना तीरे पंथ निहारे हरिक गाँव की छोरी जग को अर्थ प्रेम का सच्चा मोहन ने समझाया राधा-मीरा, गोप-गोपियाँ सबने श्याम को पाया उनकी बंसी-धुन को सुनना चाहे हर इक गोरी वृन्दावन […]

कविता

कविता

हवाओं ने रुख को मोड़ा, तूफानों ने दे दी गति, इतिहास ने दे दी फिर से नए परिवर्तन की स्वीकृति !   गगन भी लगा स्वच्छंद, और पवन भी महकी-महकी धरा ने ली सुख की अंगड़ाई, और चिड़ियाँ भी चहकी-चहकी नदियों ने ली ख़ुशी से उन्मुक्त हिलोरें उनकी बढ़ेगी पावनताऔर जन जन में जग जाएगी एक […]

कविता

प्रियतम मैं भगवान् ही हूँ

ब्रम्हा, विष्णु, महेश हूँ मैं, ..अब मैं कृष्ण महान ही हूँ जब से तुमसे प्रेम हुआ है,  प्रियतम मैं भगवान् ही हूँ   अब सारे कर्म सकर्म बने, प्रिय कोई द्वेष विकार नहीं हर ओर मात्र तुम्हीं दर्षित, तुम सा प्यारा प्यार नहीं उद्धार हुआ तुमसे मिलकर, मैं अब गीता ज्ञान ही हूँ जब से […]

कविता

पुराने खंडहर

काल के अट्टहास के प्रतीक या शाश्वत रुपी सत्य का बोध कराते पुराने खंडहर ………………….. स्वयं में समेटे हुए अनगिनत कहानियाँ झूठ, सत्य,प्रेम, कुकृत्य … ना जानें कितनी निशानियाँ काल के दंश से … प्रकृति के अंश से … दिखाते कि सबका अंत है सुनिश्चित बताते कि कुछ भूलों के लिए …. पीढ़ियाँ तक करतीं […]

कविता

।। कृष्ण जन्माष्टमी की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ ।।

1 सुन रे कान्हा दूंगी मै उलाहना न तू सताना । 2 प्रेम का पाठ पढ़ा गया छलिया राधा के साथ । 3 सूना पलना गोकुल बधाईयाँ जन्मा ललना । 4 टूटी बेड़ियाँ कारागार मुस्काया जन्मे कन्हैया । 5 बाँसुरी तान मुरली मनोहर बृज की शान । 6 राधा पुकारे द्वार द्वार भटके कृष्ण कहाँ […]

कविता

गीत

सभी को कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ… प्रस्तुत है लोकगीत विधा पर आधारित मुरली मनोहर से शिकायत करता एक गीत…   काहे सताया बोलो काहे सताया राधे को कान्हा तूने काहे सताया मार कंकरी उसकी फोड़ी गगरिया पनघट की डगर पर उसको रुलाया काहे रुलाया बोलो काहे रुलाया राधे को कान्हा तूने काहे सताया वृषभानु […]

कविता

तुम मुझ पर विश्वास करो

धर्म-कर्म के मर्म को छोड़ो, ….प्रेम का मत उपहास करो प्रेम किया है तुमनें तो प्रिय,…. प्रेम का बस आभास करो मैं कृष्ण नहीं बन पाऊंगा, ….यदि तुम राधा बन न सकींमैं बस तुम पर विश्वास करूँ, तुम मुझ पर विश्वास करो तुम मेरे मन की राधा,..… प्रिय तुमसे प्रेम का बन्धन है मेरा हृदय तुम्हारा है प्रिय,…..हृदय […]