नीली साड़ी
मम्मी जी की नीली साड़ी। लगती बहुत सजीली साड़ी। जगह जगह पर मोर सजे हैं। रंग सुनहरी छोर सजे हैं।
Read Moreजल संरक्षण अभियान चलाओ देश में पानी की बचत कराओ नदियाँ और तालाब में कुएँ में और नहर में टंकी
Read Moreजो शिव-शंकर को भाती हैबेल वही तो कहलाती है—तापमान जब बढ़ता जातापारा ऊपर चढ़ता जाता—अनल भास्कर जब बरसातालू से तन-मन
Read Moreगर्मी आई ! गर्मी आई!! स्वाद भरी सौगातें लाई। बाड़ी में महके- ख़रबूज़े। लाल शहद – से हैं तरबूजे।। खीरा
Read Moreलाल रंग के सुमन सुहाते।लोगों को हैं खूब लुभाते।।—रूप अनोखा, गन्ध नहीं है,कागज-कलम निबन्ध नहीं है,उपवन से सम्बन्ध नहीं है,गरमी
Read Moreतन-मन की जो हरता पीरावो ही कहलाता है खीरा—चाहे इसका रस पी जाओचाहे नमक लगाकर खाओ—हर मौसम में ये गुणकारीदूर
Read Moreजंगल की तुम सुनो कहानी। सुना रही थी मेरी नानी।। हथिनी हाथी पर चिंघाड़ी। फ़टी हुई है मेरी साड़ी।। नई
Read Moreकितने अद्भुत अपने पैर! नहीं किसी से करते बैर।। सबको मंज़िल तक पहुँचाते। ये दुनिया भर को करवाते ।। मेला
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