बाल कविता

घोड़ा

horses owner in tension after Glanders virus

घोड़ा एक पालतू जानवर,
मदद हमारी खूब करे,
तांगे में जुतकर यह घोड़ा,
एक बार भी उफ़ न करे.
काम सवारी के आता है,
रेस लगाए, जंग लड़े,
सर्कस में भी खेल दिखाए.
स्वामिभक्त, जब वक्त पड़े.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244