पहेलियाँ
(1) चीनी के बोरे को लूटे धैर्य न थोड़ा इसका टूटे काली, छोटी ये काटे यदि आह-आह मुँह से तब
Read Moreसीधा-सादा, भोला-भाला। बचपन होता बहुत निराला।। बच्चे सच्चे और सलोने। बच्चे होते स्वयं खिलौने।। पल में रूठें, पल में मानें।
Read Moreआगे इसे ले जाना है भारत सपूत हम सच्चे हैं देश सेवा से न पीछे हटेंगे मेहनत करेंगे डटकर हम
Read Moreप्रिय बच्चो, रक्षाबंधन मुबारक हो, कविता लिखना सीखने के इस क्रम में हम आपको केवल कविता द्वारा अनेक विषयों पर
Read Moreकाली बिल्ली जब घर आई। मम्मी ने रसमलाई छुपाई। जैसे ही देखा चूहों ने। झट से सरपट दौड़ लगाई चमकीली
Read Moreघर की मियारी पर दादी ने, डाले दो झूले रस्सी के। चादर की घोची डाली है, तब तैयार हुए हैं
Read Moreअभी पूर्व से मुर्गा बोला, सूरज ने दे दी है बांग। लालूजी कवितायें लिखते, ऐसी ही कुछ ऊंट पटांग। कौआ
Read Moreयह ढोलक है दादी की। दादी की परदादी की। दोनों इसे बजाती थीं। मिलकर गाने गाती थीं। हम भी इसे
Read More1. आसमान में पलते हैं क्षण में घिरते-टलते हैं काले-काले, उजले-उजले पानी लेकर चलते हैं 2. भिगो डालती सबको
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