शिशुगीत – २७
१. खाकर निकलें गर्मी में जब भी निकलें कुछ भी खाकर ही निकलें नहीं लगेगी लू इससे नींबू पानी पी
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Read Moreमेरी गुड़िया छैल-छबीली, जींस पहनती गहरी नीली। इलू-इलू बोले वह सबको, प्यार बाँटती सारे जग को। काला चश्मा लाल रुमाल, और सुनहरे
Read Moreमेरा गुड्डा मस्त कलन्दर, नाचे ऐसे जैसे बन्दर। उछल कूद में ऐसा माहिर, शैतानी उसकी जग जाहिर। एक बार बस चाबी भर
Read Moreचतुरसिंह के पिता का देहांत हो चुका था. उसने अपने छोटे भाई कोमलसिंह को बंटवारा करने के लिए बुलाया, “बंटवारे
Read Moreप्रिय विद्यार्थीयों जैसा की आप लोग जानते है की कुछ ही दिनों में बोर्ड की वार्षिक परीक्षाएं शुरू होने जा
Read Moreमां मुझको तू कृष्ण बना दे, देश प्रेम की लगन लगा दे, छोटा-सा पीताम्बर पहना, छोटी-सी वंशी दिलवादे. मोरपंख का
Read Moreकोमल एक गरीब मां-बाप का बेटा था किसी तरह मेहनत मजदूरी करके सभी का गुजारा चलता था। कभी-कभी काम न
Read Moreमेरी तो हैं चार भुजाएं, चार कोण हैं मैंने पाए, चारों ही हैं एक बराबर, नाम वर्ग है मेरा
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