लघुकथा : अपराधबोध
आखिर उस दिन देवव्रत को अपने पिता शांतनु के चिंतित रहने का कारण पता चल ही गया। उसने आजीवन अविवाहित
Read Moreआखिर उस दिन देवव्रत को अपने पिता शांतनु के चिंतित रहने का कारण पता चल ही गया। उसने आजीवन अविवाहित
Read Moreकहते है न कि बच्चों को जैसा माहौल घर में मिलता है, उनके भविष्य में उसकी छाप ज़रूर दिखती है।
Read Moreशांता का पूरा जीवन सीधी रेखाएं खीचकर कलाकृतियाँ बनाते हुए बीत गया। वेंटिलेटर पर अंतिम सांसें लेते हुए उसे एक
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