लघुकथा – मेरा गाँव
बात कोई पुरानी नहीं थी, बस कुछ ही महीने हुए थे शहर आए। एक अच्छी नौकरी, बड़ा सपना और ऊँची
Read Moreबात कोई पुरानी नहीं थी, बस कुछ ही महीने हुए थे शहर आए। एक अच्छी नौकरी, बड़ा सपना और ऊँची
Read More“दादू आप मुझे कभी जादुई संसार में नहीं ले चले, ले चलो न दादू!” छोटा-सा नितिन मचल गया.दादू ने कुछ
Read More“बोतल के ठंडे पानी से तुम्हारी तपन तो कुछ हद तक शांत हो गई, पर मेरी भयंकर तपन का क्या
Read More“सुहाना, आंटी जी किधर हैं? गांव वापिस चली गईं क्या?” सुधा जी को घर में न देख सुहाना की सहेली
Read Moreमम्मी-पापा के साथ दिवाली की खरीदारी करके हाथ में कुछ पैकेट लिये परी घर लौटी।परी ने चार-पाँच पैकेट एक-एक करके
Read Moreलड़की और बेल के बढ़ते देर नहीं लगती. देखते-ही-देखते घर-घर बर्तन-झाड़ू-फटका करने वाली कौशल्या विवाह के योग्य हो गई. मौसम
Read More