पंछियों की टोली
अक्षर, पांखी, मानव और देवांश आज बहुत खुश थे। ये चारों दोस्त अपने-अपने परीक्षा परिणामों को हाथ में लिए एक
Read Moreअक्षर, पांखी, मानव और देवांश आज बहुत खुश थे। ये चारों दोस्त अपने-अपने परीक्षा परिणामों को हाथ में लिए एक
Read Moreमां और बीवी के बीच दो पाटों में पिसता पूरन हताश हो चुका था। तंग आ कर एक दिन उस
Read Moreविह्स्की विला में जाने की हसरत न जाने कब से मेरे दिल में थी पर वहां इस तरह से जाऊँगा
Read Moreकालबेल की आवाज सुनकर रिचा ने दरवाजा खोला तो सामने सीमा को देखकर चौंक बड़ी अरे…आप… !हां भाभी! मुझे माफ़
Read More“माँ, छोटा कब से रोये जा रहा है। लो इसे।” “अरी बडकी, संभाल उसे। मुझे काम पर जाना है। देर
Read Moreपहाड़ों में जीने के लिए पहाड़ होना पड़ता है। जिस तरह पहाड़ धूप- छांव को सहते हुए हमेशा अपनी पीठ
Read Moreकुछ वर्षों पूर्व रमेश को एक साहित्यिक आयोजन में कवियों/कवयित्रियों को आमंत्रित करने की जिम्मेदारी दी गई। चूंकि यह आयोजन
Read Moreसर्दियों अपना कहर ढा रही थी । चूल्हा- चौका का काम तो मानो एक पहाड़ बना हुआ था। किसी तरह
Read Moreस्थान: एक गाँव और सेना का शिविर पात्र: 1. अर्जुन – एक युवा सैनिक 2. अर्जुन की माँ – देशभक्त
Read Moreशहर के इस कोने में रोज़ ही भीड़ उमड़ती थी—ऑफिस जाने वालों की तेज़ रफ्तार, सब्ज़ी वालों की आवाज़ें, और
Read More