क्षणिका *ब्रजेश गुप्ता 10/04/202410/04/2024 ब्रह्म मैं ब्रह्म अजर अमर अविनाशी घट घट में व्यापक कहीं नहीं जायूँगा सदा रहूंगा यहीं कहीं आता जाता रहूँगा इक Read More
क्षणिका *ब्रजेश गुप्ता 02/04/202403/04/2024 जिंदगी अनबूझ पहेली जिंदगी एक अनबूझ पहेली गूढ रहस्यों से भरी पर्त दर पर्त खुलती न मालूम क्या हो हर अगले पर्त के Read More
क्षणिका *ब्रजेश गुप्ता 01/04/202403/04/2024 फासले डर लगने लगा है आदमी को आदमी से इसलिए मिलता है इक दूजे से फासले से कोई करे अगर बार Read More
क्षणिका प्रवीण माटी 13/03/202413/03/2024 क्षणिका तमाम डाकखाने प्रेम से चलते रहें…..और…..कचहरियां नफरत से….!आश्चर्य है कि…..डाकखाने कम हो गए…..और….कचहरियां बढ़ती चली गयी…!! — प्रवीण माटी Read More
क्षणिका *ब्रजेश गुप्ता 27/02/202405/03/2024 ख्याल आवारगी है ख्यालों की गुजरती रात सारी इन ख्यालों में दोष नींद को देता हूँ आती नहीं — ब्रजेश गुप्ता Read More
क्षणिका *डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा 17/02/202423/02/2024 जुगनू अंधेरे के खिलाफलड़ता है जुगनू।संकट में भी सदान घबराने कीसीख देता है जुगनू।घोर निराशा में भीउम्मीद की किरणजगाता है जुगनू। Read More
क्षणिका *ब्रजेश गुप्ता 30/01/202430/01/2024 क्षणिकाएँ एकांत मैं रोज देख रहा अपने चारों ओर बनती हुई गगन चुम्बी इमारतें और उनमें रहने वाले खुद से बात Read More
क्षणिका *अंजु गुप्ता 22/01/202422/01/2024 क्षणिका -1- लेखन कांट छांट कर /तोड़ मोड़ कर/जब लिखने का/प्रयास हुआ /लेखन का उपहास हुआ! -2- मानव या विषधर हे Read More
क्षणिका *ब्रजेश गुप्ता 10/01/202412/01/2024 नींद इन आँखों में बैरी नींद न आई पूरी रात गुजर गई ख्वाबों में कुछ ऐसे ख्वाब जो पूरे न हुए Read More
क्षणिका *ब्रजेश गुप्ता 07/01/202407/01/2024 ठण्ड ठण्ड तो आलसी निठल्ले भरे पेट वालों के लिए है खाली पेट तो अल्ल सुबह ही निकल जाता है रोटी Read More