स्वागत में पति बैठे हैं
बेटी को हम बेटी समझें, भार मान क्यूँ बैठे हैं। कोरे हम आदर्श बखानें, व्यर्थ ही उससे ऐंठे हैं।। जिस
Read Moreबेटी को हम बेटी समझें, भार मान क्यूँ बैठे हैं। कोरे हम आदर्श बखानें, व्यर्थ ही उससे ऐंठे हैं।। जिस
Read Moreजहाँ चाहो तुम, रहो वहाँ पर, साथ की, ना मजबूरी है। स्वस्थ रहो, और व्यस्त रहो, कुछ मस्ती भी तो
Read Moreसब कहते काली, काली है, वह, कानूनन घरवाली है। सुधा समझ जिसे, पीने चले थे, निकली विष की प्याली है।।
Read Moreतुमने जीना सिखलाया था, तुम बिन जीना सीख न पाए। कविता अब लिखते हैं केवल, तुम बिन हमने गान न
Read Moreधर्म शास्त्र मानव जीवन की एक कहानीआदि युग से संत पुरुषों की सूंदर बानीऋषि मुनि पहले जंगल में तप करते
Read Moreकुछ पल का ठहराव ये पथ में, ठहरो, पर, ये, धाम नहीं है। जीवन सरिता बहती प्रतिपल, रूकने का कोई
Read Moreबदलना परिणाम का अच्छा नहीं लगाबढ़त खाली नाम का अच्छा नहीं लगाहारा कोई दल तो कुछ बुरा नहीं लगापर हार
Read More