राही हूँ, नहीं कोई ठिकाना
राही हूँ, नहीं कोई ठिकाना, किसी से विशेष संबन्ध नहीं हैं। नहीं चाहत, नहीं इच्छा कोई, तुम पर कोई बंध
Read Moreराही हूँ, नहीं कोई ठिकाना, किसी से विशेष संबन्ध नहीं हैं। नहीं चाहत, नहीं इच्छा कोई, तुम पर कोई बंध
Read Moreप्रेम है निष्ठा, प्रेम समर्पण, प्रेम में कोई जीत नहीं है। प्रेम है जीवन, प्रेम है सपना, प्रेम की कोई
Read Moreमैं नित-रोज अकेला छुप-छुपकर, दुनिया से अकेला रोता हूँ।बीती उन यादों की मस्ती को, अब गीत बनाकर गाता हूँ।अफसोस बचा
Read Moreहरी-भरी तुलसी खिली रहती मेरे आंगन मनभावन,बारहों मास बरसे सुख का अमृत”आनंद” सावन । प्रतिदिन सुबह शाम धूप, दीप, आरती
Read Moreनिर्बाध, रूप से, बारहों महीनेसमय से, अपनी, पेंशन पाएंआया, नवम्बर का, विशेष माहजिंदा होने का ,प्रमाण सौंप आएं। नियत तिथि
Read Moreकहलाता सुहाग की नगरीनगर फिरोजाबाद हमारा। रंग-बिरंगी बना चूड़ियाँ,दुनिया भर में नाम।अपनी एक अलग छवि देता,उच्च कोटि का काम।।पहनें सभी
Read Moreजीवन पथ का हूं मुसाफिर,लक्ष्य मेरी मंज़िल है।मौत आ जाने से पहले, लक्ष्य करना हासिल है।सुगम नहीं पथ जीवन का,
Read Moreसब ने उसको है चाँद कहा,अधरों को सुर्ख गुलाब कहा,कुंतल उसकी नागिन सी लगीसुन कर रह जाती है वह ठगी,सौंदर्य
Read More