दीवानी
मैं तेरी दीवानी हूँ, हां मैं तेरी दीवानी हूँ ,कभी खुद से कभी सबसे बेगानी हूँ ।रोके कोई आज मुझे
Read Moreहास्य – यमराज का सुझाव : स्व पिंडदान सचमुच मित्र क्या होता है?यह पूरी तरह मैं आज ही समझ पाया,गुस्से
Read Moreहर आदमी त्रस्त बोलती उसकी है बंद आवाज उसकी दबा दी जाती खोलता जब भी वह जुबान है बाहर भले
Read Moreअभी अभी मेरे मित्र यमराज पधारेखुश इतना थे जैसे तोड़ लिए हों चाँद तारे।मैंने हमेशा की तरह प्यार से बिठाया,
Read Moreऐ मृत्यु! तू इतना सकुचाती क्यों है?पास नहीं आती क्यों है?क्या गिला शिकवा शिकायत है हमसे?जो रुठी हुई दूर रहती
Read Moreहां सोच समझकरहोशोहवास में रहकर रहा हूं गलती,मैं नहीं कहूंगा कि नादान हूं,मुंह बांये खड़ी परिस्थितियों सेहद दर्जे तक परेशान
Read Moreप्रकृति तेरी छटा है अजब निरालीकहीं अंबर पे दिखता मेघा कालीपूरब में सूरज की रूप है लालीऋतुओं की भरी है
Read Moreबच्चों के मन में “आनंद” खुशियां छाई,आई देखो आई गर्मी की छुट्टियां आई,नानी के घर अब तो है झटपट जाना,धमा
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