अच्छा! तुम ही हो!
अच्छा! तुम ही हो!लेती रहती हो ,औरों से मेरी ख़बर। अच्छा ! तुम ही हो!पूछती रहती होगैरों से मेरा घर
Read Moreअच्छा! तुम ही हो!लेती रहती हो ,औरों से मेरी ख़बर। अच्छा ! तुम ही हो!पूछती रहती होगैरों से मेरा घर
Read Moreजब बहा पहलगाम में निर्दोषों का खून,उठा तब भारत में प्रतिशोध का जुनून,आँखों में ज्वाला, सीने में गुरूर,यहीं से शुरू
Read Moreआ विराजो यहाँ,छोड़ करके जहान;हृदय मेरे बसो,छेड़ मर्मर ध्वनि! है स्वचालित जगत,माया विचरा रहा;मोह वश बह रहा,कुछ किए जा रहा!
Read Moreकिसने बेची थी, ये हवाओं की खुशबू,किसने कांपती जड़ों में, जहर घोला था,किसने गिरवी रखी थी, मिट्टी की सुगंध,किसने अपने
Read Moreसारी दुनिया को धुंधला करके,जिसे तुम फोकस करोगे,वो एक दिन तुम्हारे ही लम्हों को,अलग फ्रेम में कैद कर देगा। जो
Read Moreवो जो साड़ी के किनारे में,सिहरती हैं चुप्पी की नर्म लहरें,वो जो पायलों में खनकती हैं,अधूरे स्वप्नों की डरी हुई
Read Moreरजत के धागों से बुनीसमय की श्वेत चादर,प्रशांत नभ की मौन गाथा,अतीत की बिखरी मुस्कान। सांसों की तूलिका से,अमिट रेखाएं
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