मृत्यु मेरी दोस्त
हे मृत्यु! तू इतना इतराती क्यों है?आखिर बेवकूफ बनाती क्यों है?आ जाने की धमकी देकर डराती क्यों है?तेरा सच मुझे
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Read Moreअंदर ही अंदर लोग कफ़न ओढ़ रहे है मोहब्बत के नाम पर दफन हो रहे है। देखते नहीं सुनते नहीं
Read Moreजब भी जाऊँ ऑफिस तो ध्यान रहता है बस उधर, कब बजे दोपहर के डेढ़ निकालूँ कब अपनी मैं टिफिन।
Read Moreतोहफा कहें या भेंट,ज़िन्दगी की उफ़ान बढ़ाती है।खतरों से खेलने की,अदा हमें बताने की,हरेक क्षण,उत्सुकता भरपूर दे जाती है।यह एक
Read Moreरंगों से तुम कभी न डरना रंग बदलते रंग नहीं। तुम चाहे कितने ही बदलो कभी बदलते ढंग नहीं।। एक
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