शब्द गंगा
विश्व कविता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। हृदयतल से निकली शब्द गंगा, भाव भरी कविता बन बहती है, प्रेम, दुलार, स्नेह,
Read Moreचैत्र कृष्ण सप्तमी तिथि विविध पकवान बनाएं,मां शीतला को अष्टमी को फिर बासी भोग धराएं,ठंडा भोजन अमृत प्रसाद रूप में
Read Moreबदला ज़माना रिश्तों में आ गई खटासआज रिश्तों का बना रहे सब उपहासदिखावा ज़्यादा हो गया रिश्तों की नहीं रही
Read Moreलोग रहते हैं महा नगरों मेंकैसे सिमटे सिमटे ,गांव में आंगन मुहब्बत काहम छोड़ आये हैं ,इमारतें कितनी हैं यहाँ
Read Moreमाँ की चिन्ता फ़िक्र दवा की,आमदनी कम खर्च सवा की।भरी दोपहरी धूप में चलता,नहीं चिन्ता उसे गर्म हवा की। पत्नी
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