कविता

कविता

अपने अस्तित्व का भान है प्रेम

प्रेम व्याप्त है जग में यहां-वहां-सर्वत्र,प्रेम ही बनाता-बनवाता है इष्ट-मित्र,प्रेम-सा नहीं है अनमोल भाव इस जहां में,प्रेम ही है सबसे

Read More