बाल कविता “अपनी बेरी गदरायी है”
लगा हुआ है इनका ढेर।ठेले पर बिकते हैं बेर।।—रहते हैं काँटों के संग।इनके हैं मनमोहक रंग।।—जो हरियल हैं, वे कच्चे
Read Moreलगा हुआ है इनका ढेर।ठेले पर बिकते हैं बेर।।—रहते हैं काँटों के संग।इनके हैं मनमोहक रंग।।—जो हरियल हैं, वे कच्चे
Read More“प्रेम दिवस” मनाओ चाहे “प्रेम सप्ताह” मनाओ, सबसे पहले प्रेम-प्यार से परिवार को सजाओ. परिवार में बरसे प्रेम-रस, जीवन मधुरिम
Read More“प्रॉमिस डे” है आज करें हम, प्रॉमिस नया कुछ करने की, देशभक्ति का अलख जगाने, दुःखियों के दुःख हरने की.
Read Moreबीते हुए वक्त में वापस, पुनः भेज दो हे! भगवन धन दौलत की चाह नहीं,बस लौटा दो मेरा बचपन। खेल-कूद
Read Moreसबको भाया एक खिलौना। चाचा, चाची, मौनी , मौना।। सुघर खिलौना ऐसा आया। सबके मन को अति ही भाया लंबा
Read Moreलगते फल डालें झुक जातीं। समझ सकें तो सबक सिखातीं।। तेज धूप में छाया देतीं। सब थकान अपनी हर लेतीं।।
Read Moreचंदामामा मुझे रोज कहें, हर रोज दूध तू पी लेना, मां दूध का प्याला दे देना, मैं चाहूं स्वस्थ हो
Read Moreछोटी-छोटी खुशी से ही ‘गर हम खुश हो जाएं, खुशियों का भंडार भर जाए, जीवन संवर जाए! छोटी-छोटी बातों-मुलाकातों पर
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