छतरी
पापा लाए छतरी प्यारी, लेके उसे मैं इतराऊं, गुड्डू-चुन्नू देखना चाहें, तो मैं झूमूं-इठलाऊं. रिमझिम-रिमझिम बूंदें बरसें, छतरी मुझे बचाए,
Read Moreआओ चुन्नू-मुन्नू-गुल्लू, मिल-जुलकर हम वृक्ष लगाएं, वृक्ष हमारे जीवनदाता, इनसे हम निज नेह लगाएं. ऑक्सीजन इनसे है मिलती, सब्जी-फूल-फल-औषधि देते,
Read Moreगर्मी की छुट्टी है आई, नानी मां की याद सताई। घूमे-फिरे, मौज मनाई, जलेबी, लड्डू,बर्फी खाई।। गर्मी की छुट्टी ……
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