शहर की सैर
गरमी का मौसम था दूर जंगल से एक चिड़ा और एक चिरैया उड़ते-उड़ते शहर में आ गए ।शहर आग की
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Read Moreघड़ा बना हूँ मैं मिट्टी का, आता सबके काम। जैसे गर्मी बढ़ती जाती, सभी
Read Moreघण घण घण बजी रे घंटी, आया कुल्फी वाला, आया कुल्फी वाला रे, आया कुल्फी वाला।। दादी दे दो ना
Read Moreजाम-कच्छार से होकर गब्दीनाला बहता था। नाले के किनारे तरह-तरह के बड़े-बड़े वृक्ष थे। हर वृक्ष पर किसी न किसी
Read Moreहंसता चेहरा सबको भाए,रोनी सूरत रास न आए ,हंसने वाला मौज मनाएं ,खुशियां बांटे हाथ मिलाएं,हंसने से न हो बीमार
Read Moreचारों ओर मची है धूम । सोनू-मोनू, चंपक रहे झूम ।। मेला लगा बड़ा सलोना । खूब बिक रही खेल-
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