गेहूं से रोटी तक
गेहूं से रोटी तक दो पाटों के बीच से निकला मैं जब से गेहूं नाम छोड़ा है आटा बना तब
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Read Moreरीचा बड़े ही प्यार से अपनी गुड़िया को सजा रही थी उसने कितने दिनो से शोर मचाया हुआ था कि
Read Moreप्रस्तुतकर्त्ता- छोटा-सा खरगोश नताशा, पेश हुआ ले एक तमाशा, सुनो-सुनो हे प्रिय श्रोताओं, प्रिय बहिनों और प्रिय भ्राताओं. खरगोश- आज
Read Moreतितली रानी – तितली रानी रंग बिरंगें पंखों वाली घास – फुस पर विचरण करती सब रंगों मे सुंदर लगती
Read Moreएक आदमी पेड़ के नीचे, बैठा-बैठा ऊंघ रहा था, एक शेर भी बहुत दूर से, मानव की गंध सूंघ रहा
Read Moreकल माँ के आँचल दूध पिया, गोदी में की अठखेलियाँ। आज कदम धरे धरती माँ पर, मेरी गूँज रही किलकारियाँ।।
Read Moreरामू नाम का लकड़हारा, नदी किनारे पर रहता था, रोज सवेरे जल्दी उठकर, जंगल को जाया करता था. लकड़ियां लाकर
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