आरण्यक ग्रन्थों की आवश्यकता
आरण्यक ग्रन्थ की आवश्यकता क्यों अनुभव की गई थी? ‘आरण्यक’ शब्द का अर्थ है- अरण्य में होने वाला। वन में होने
Read Moreआरण्यक ग्रन्थ की आवश्यकता क्यों अनुभव की गई थी? ‘आरण्यक’ शब्द का अर्थ है- अरण्य में होने वाला। वन में होने
Read More‘धर्म’ शब्द धृञ् धारणे धातु से ‘मन’ प्रत्यय करके निष्पन्न होता है। इसका अर्थ है-धारण, पोषण और रक्षा करना। इसलिए
Read Moreवेद और वेदों के अनुकुल वैदिक साहित्य सत्य ज्ञान एवं सभी विद्याओं से पूर्ण हैं। वेद मनुष्य कृत ग्रन्थ नहीं
Read Moreमहर्षि दयानन्द ने विश्व का सुप्रसिद्ध ग्रन्थ सत्यार्थ प्रकाश लिखा है। हमने इस ग्रन्थ को अनेक बार पढ़ा है। अन्य
Read Moreबुलंद शहर में सर्वधर्म सम्मलेन सम्पन्न हुआ। इससे पहले भी उत्तर प्रदेश में अनेक स्थानों पर ऐसे सम्मलेन हो चुके
Read Moreइस अति संक्षिप्त लेख में ईश्वर वा यज्ञ सम्बन्धी कुछ प्रश्नों का समाधान प्रस्तुत कर रहे हैं, जो एक पाठक
Read Moreनागालैंड के सबसे बड़े शहर दीमापुर में एक चौंकाने वाली घटना में रेप के आरोपी को गुस्साई भीड़ ने जेल
Read Moreईश्वर समस्त ऐश्वर्यों का स्वामी होने के कारण ही ईश्वर कहलाता है। जीवात्मा अल्पज्ञ, अल्प शक्ति व सामर्थ्यवाला है। अतः
Read Moreईश्वर भक्ति ईश्वर की पूजा व उसका सत्कार है। भक्त अपने जिन कृत्यों से अपने अराध्य देव को प्रसन्न करने
Read Moreआत्मा को जीव वा जीवात्मा कहते हैं जो कि सत्य, चित्त, एकदेशी, अल्पज्ञ, अनादि व नित्य स्वरूप वाला है। ईश्वर
Read More