लेख

धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

“आर्य विदेशी थे, आक्रमणकारी थे” यह भ्रान्ति क्यों फैली?

यह भ्रान्ति इसलिए फैली क्यूंकि विदेशी इतिहासकारों ने वेदों में इतिहास को माना। वर्तमान में वेदों में इतिहास के सम्बन्ध

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

आज का मनुष्य अपने जन्मदाता और स्वयं के ज्ञान से अनभिज्ञ

ओ३म् क्या हम अपने आप और अपने जन्मदाता को जानते हैं। हमें लगता है कि संसार के 99 प्रतिशत लोग

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

मेरा धर्मग्रन्थ सत्यार्थप्रकाश

ओ३म् मनुष्य मननशील प्राणी को कहते हैं। जो मनुष्य योनि में जन्म लेकर भी मनन नहीं करता और परम्परागत विचारधारा

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सामाजिक

“नज़रे बदलो नज़ारे बदल जायेंगे” आपकी सोच जीवन बना भी सकती है बिगाड भी सकती है

सकारात्मक सोच व्यक्ति को उस लक्ष्य तक पहुंचा देती है जिसे वो वास्तव में प्राप्त करना चाहता है लेकिन उसके

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सामाजिक

“कस्तूरी कुंडल बसे , मृग ढूंढे बन माहि” समाधान स्वयं में ही छिपा हुआ है

आज के इस आपाधापी के युग में हर व्यक्ति अनेक प्रकार की समस्याओं से घिरा हुआ है कोई न कोई

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