सामाजिक

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पर्फ़ेक्शन के चक्कर में कहीं स्वयं को अन्याय नहीं कर रहे

“अति सर्वत्र वर्जयेत” इस कथन को समझकर अपनी आदत में सुधार करना अति आवश्यक होता है। क्योंकि अति का परिणाम

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सामाजिक

मानवों में दूसरों की टांग खिंचाई का प्रचलन तेजी से बढ़ा 

वैश्विक स्तरपर पूरी दुनियां में प्रौद्योगिकी विज्ञान से से सराबोर होकर अपने-अपने स्तरपर सफलता के झंडे गाड़ रहे हैं और

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