व्यंग्य – घुटना-छू ,संस्कृति छू
अतीत की बात हो गई ,जब लोग अपने से ज्ञान, गुण और आयु में बड़े, गुरुजन, माता -पिता , इष्ट
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Read Moreहम सब अपने को इंसान कहते हैं।पशु -पक्षियों, कीड़े-मकोड़ों से भी बहुत महान। इस धरती माता की शान।ज्ञान औऱ गुणों
Read Moreसाहित्य मानव – चरित्र का जीवंत इतिहास है ,तो इतिहास मानव -चरित्र का मुर्दा साहित्य है।’महाभारत’ में भी कहा भी
Read Moreअरे ! छोड़िए भी ‘शादी’ कभी ‘सादी’ हो ही नहीं सकती।’शादी’ के नाम पर कुछ भी प्रदर्शन करने की मनमानी
Read Moreहोली को भारत वर्ष के बड़े त्योहारों में से एक माना जाता है । होली भी अन्य त्योहारों की तरह
Read Moreआरोप-प्रत्यारोप तो दोनों पक्ष लगा सकते हैं और चाहूं तो मैं इनका या उनका पक्ष ले भी सकता हूं लेकिन
Read Moreगांधी जी के तीन बंदर कुछ महत्त्वपूर्ण संदेश देते हैं।जो बंदर अपनी आँखों को अपने हाथों से बंद किए हुए
Read Moreसुबह-सुबह श्रीमती जी जब चाय लेकर आई ,दुखी आत्मा को फेसबुक पर व्यस्त देख झल्ला उठी, “क्या सुबह-सुबह मोबाइल लेकर
Read Moreमनुष्य प्रकृति की अनुपम छटा को वसंत के रूप में सदियों से देखता आया है । प्रकृति का ये आशीर्वाद
Read Moreरात के 9:00 बज रहे थे कि अचानक एक शख्स का आगमन हुआ,,,, वो मेरे पैर में झुककर साक्षात दंडवत प्रणाम
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