ग्राउंड जीरो
मेरे प्रिय मित्र भाई भरोसे लाल आया और बोले कि तैयार हो जाओ ग्राउंड जीरो पर चलना है। क्योंकि मेरा
Read Moreमेरे प्रिय मित्र भाई भरोसे लाल आया और बोले कि तैयार हो जाओ ग्राउंड जीरो पर चलना है। क्योंकि मेरा
Read Moreकहीं भी आंतरिक सज्जा उसके बिना संभव नहीं है, जो कि अवधूत है या भूत है ! ….या आडंबर के
Read Moreहमारी स्वच्छन्दता एक अट्टहास नहीं है, विकास नहीं है, उनके प्रसंगकर सिर्फ नूतन मजाक नहीं है ! ये घोर आश्चर्य
Read Moreउनमें यह साफ परिलक्षित है कि जीवन सयानी है या खास अवबोध के तत्वश: अविरत अविगत अनुतनायी साहस के परिनिधित:
Read Moreक्या जीवन का निर्णय यही है कि हम खूब ताने सुने अनसुने वृहद व्यथा के साथ शिरोमणि अखंडता के रूप
Read Moreहमारी आदत तय है, हममें नहीं भय है ! विश्वास पदार्पण के वशीभूत होकर भी अविराम चलायमान है, यही तो
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