आओ दिया जलायें
आओ मिलकर दिया जलायें खुशियों का त्योहार मनाएं, छोटा बड़ा यहाँ न कोई आओ सबमिल भेद मिटाएँ। रोशन हो अपना
Read Moreआओ मिलकर दिया जलायें खुशियों का त्योहार मनाएं, छोटा बड़ा यहाँ न कोई आओ सबमिल भेद मिटाएँ। रोशन हो अपना
Read Moreआज मैं बड़े असमंजस में हूँ , सोचती हूँ क्या कहूँ, यही सोच रही हूँ कि हम अभावों को कैसे समझ
Read Moreकैसे कहूँ शुक्रिया, मेरे जीवन में रंगों को वापस लाने के लिए! कैसे कहूँ शुक्रिया, एक नया इंद्रधनुष बनाने ले
Read Moreआशा के आगे-पीछे कुछ भी धीमा नहीं है यह प्रीत के विन्यास पर आदतों के प्रसंगश: विग्रह निवेदित है !
Read Moreठंढ का दिन धीरे धीरे आ रहा है, कंबल,रजाई, स्वेटर, जैकेट टोपी, मफलर अब निकलने लगे हैं। गाँवो में तो
Read Moreआदत के समंजन से व्याघात जारी है, कुछ भी नहीं खाली है ! जहाँ हड़बड़ी है, वहीं गड़बड़ी है ।
Read Moreबहुत कुछ कहने को मन करता है, पर कामुक तन धन त्यागता है । यह प्रसंग लिए है, कुछ भी
Read Moreकितनी जिद्दी हो चले हो तुम आजकल मेरी तो कोई बात नहीं मानते, सुबह सवेरे ये सारे खिड़की दरवाजे खोल
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