ये तो सोचो ज़रा
बहुत कहने से क्या ? करोडो़ शास्त्रों से भी क्या ? कर्मकाण्ड कराने में क्या? तीर्थों पर भटकने से भी
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Read Moreआज भी याद आता है दशहरे के दौरान नाना के घर जाना, बहाना तो होता था बस रामलीला देखना। बड़ा
Read Moreअपुन का धनपन्द्रस तो दीपावली को! धनतेरस में दुकानदारों के बल्ले-बल्ले! धनतेरस में आपके धन’चौरस’ हो गए? स्वास्थ्य ही धन
Read Moreमीटू, परंतु ताली एक हाथ से नहीं बजती! मोहम्मद जलालुद्दीन अकबर ! शहंशाह अकबर नहीं, किन्तु सम्पादक और बड़े पत्रकार!
Read Moreएक सलोनी अदाकारा की जन्मदिवस, जिन्हें मैं भी चाहने लगा था। महाराष्ट्र सरकार में मंत्री पिता की पुत्री ‘स्मिता पाटिल’
Read Moreइंदिरा गाँधी खुद भारतरत्न ले सकती है, फिर आपात लगाने के बाद भी इंदिरा गाँधी ‘भारतरत्न’ खुद में लगाए रख
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