कविता

माँ सुन मेरी भी पुकार …..

हे माँ सुन ले मेरी भी पुकार
कर दे मेरे जीवन का तू उद्धार !!

दिल से मेरे नफरत मिटा दे
प्यार-प्रेम के बस फूल तू खिला दे !!

पापों से मुझको मुक्त कर दे
आचरण को मेरे तू शुद्ध कर दे !!

किसी के कुछ काम आ सकूँ
ऐसी मुझ में माँ तू शक्ति भर दे !!

हैं लाख बुराईयाँ मुझमें ऐ माँ
हाथ रख सर पे तू मुझे निर्मल कर दे !!

मिट जाये अज्ञान का ये तम घनेरा
जो अपने चरणों में तू मुझे शरण दे दे !!

जय माँ अम्बे हे माँ जगदम्बे जय भवानी
देकर आशीष मुझे तू धन्य कर मेरी जिंदगानी !!

……. प्रवीन मलिक……

प्रवीन मलिक

मैं कोई व्यवसायिक लेखिका नहीं हूँ .. बस लिखना अच्छा लगता है ! इसीलिए जो भी दिल में विचार आता है बस लिख लेती हूँ .....

2 thoughts on “माँ सुन मेरी भी पुकार …..

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    अच्छी कविता , अगर किसी की सोच ही यह है तो इंतज़ार करने की जरुरत नहीं है, बस अछे रास्ते पर जाना शुरू हो जाए तो शक्ति भी खुब्खुद मिल जायेगी .

  • विजय कुमार सिंघल

    बढ़िया कविता. जय माता दी !

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