कविता

ऐ चाँद जाके उनको नज़रों से चूम आना

करवाँ-चौथ पर चाँद के माध्यम से उन सभी के लिए एक रचना जो चाँद में अपना प्रियतम तलाशते हैं और उसके द्वारा कोई संदेश भेजना चाहते हैं। आइए जुड़ जाइए मेरी भावनाओं के साथ अपनी भावनाएँ लेकर-
ऐ चाँद जाके उनको नज़रों से चूम आना
मेरे सनम की राह में, तारों को तुम बिछाना।
जब मुस्कुराएगा वो, तुझसा हसीं लगेगा
पूनम का रूप तुझको उसमें सदा दिखेगा
तू एक है मगर दो तुझसी बड़ी निगाहें
तेरी कलाओं जैसी नाज़ुक-सी नर्म बाँहें
तुम दूर से ही तकना, उनको ना तुम सताना
मेरे सनम की राह में तारों को तुम को बिछाना।
तुझको तो याद होगा, बदली में तेरा चेहरा
ज़ुल्फ़ों में बिखरी लगता, मेहबूब वैसा मेरा
शायर को प्यारा है तू, कवियों का है दुलारा
मेरे यार में सिमटकर, ग़ज़लों ने खुद को ढाला
मचलेगा मन बहुत पर, तुम रूप ना चुराना।
मेरे सनम की राह में, तारों को तुम को बिछाना।
बैठें हो वो अगर तो, उन्हें प्यार से बुलाना
शबनम की देके चादर, तुम पास ही बिठाना
गर नींद में हो खोए, उनका सिंगार करना
देकर के प्यार मेरा, तुम उनका ताप हरना
मेरे सनम की राह में तारों को तुम को बिछाना।
कहना उन्हें कि उन बिन, हर साँस है अधूरी
मूरत के बिन तुम्हारी, आराधना अधूरी
मेरे गीत हैं अधूरे, मेरी राग है अधूरी
जब तुमसे मैं मिलूँगा, मेरी साध होगी पूरी
ऐ मीत! उनको मेरी हर दास्तां सुनाना
मेरे सनम की राह में तारों को तुम को बिछाना।

2 thoughts on “ऐ चाँद जाके उनको नज़रों से चूम आना

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत अच्छी कविता, शरद जी.

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    अच्छी कविता , धन्यवाद .

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