कविता

हमदम

 

एक दूसरे को
दोनों ने चुन लिया है
एक दूसरे विषय में
उन्हें नहीं है वहम

इश्क़ की राह में
बड़ चले है
दोनों के कदम
रोज एक कदम
रोज एक कदम

फासला है बे हद
वह हो रहा है
धीरे धीरे कम

अब दूर नहीं है मंजिल
दोनों सातो जनम
के लिए
बन जाएंगे हमदम

अभी तो मिली है
निगाहों से निगाहें
पर जख्मी दिलों का
यह है आलम
खतो के सिलसिले
लगाते है
उन पर मरहम

न जी पाते है न मर पाते है
जिस्म के सायों की दूरियाँ
ढा रही है
उन पर सितम

यह दुनियाँ भी है बेरहम
ये कैसा जुनून है
जो तोड़ देना चाहता है
बरसों का आत्म संयम

लेकिन दोनों के रूहों का
पहली नज़र में ही
हो चुका है पाक संगम

मन की उन्मत्त लहरों को
रोक न पायेगा
सुदृढ़ बांध से लगते
ये रिती रिवाज़ों के
सख्त नियम

आएगी पुरनूर पूनम की रात
छट जाएगा तब
उस मधुयामिनी में
अतीत के घनघोर तम

उनकी चाहत में हरदम
इतना रहेगा दमखम
उनका यह रूहानी प्रेम
हो न पायेगा कभी ख़तम

किशोर

किशोर कुमार खोरेंद्र

परिचय - किशोर कुमार खोरेन्द्र जन्म तारीख -०७-१०-१९५४ शिक्षा - बी ए व्यवसाय - भारतीय स्टेट बैंक से सेवा निवृत एक अधिकारी रूचि- भ्रमण करना ,दोस्त बनाना , काव्य लेखन उपलब्धियाँ - बालार्क नामक कविता संग्रह का सह संपादन और विभिन्न काव्य संकलन की पुस्तकों में कविताओं को शामिल किया गया है add - t-58 sect- 01 extn awanti vihar RAIPUR ,C.G.

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