कविता

शीत आगमन *ताँका

चटके रिश्ते
सर्द हवा मिलते
छल – धुंध से
दिल की आग बुझी
बर्फ जमती जाती।

=
लूक सहमे
शीत का धौंस जमे
सेवंती हँसे
मादव रवि डरे
हिम को रास्ता दे दे।

*विभा रानी श्रीवास्तव

"शिव का शिवत्व विष को धारण करने में है" शिव हूँ या नहीं हूँ लेकिन माँ हूँ

8 thoughts on “शीत आगमन *ताँका

  • विजय कुमार सिंघल

    इसके कम से कम दो शब्द स्पष्ट नहीं हैं- लूक और सेवंती. कृपया स्पष्ट करें. ताँके अच्छे हैं.

    • विभा रानी श्रीवास्तव

      लूक = गर्मी का बहुत गर्म हवा
      सेवंती = गुलदाउदी जो सर्दी में ही खिलता है
      बहुत बहुत धन्यवाद आपका ….
      क्षमा प्रार्थी हूँ …जबाब देने में देरी हुई ….

    • विभा रानी श्रीवास्तव

      बहुत बहुत धन्यवाद

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    बहुत अच्छी .

    • विभा रानी श्रीवास्तव

      आभारी हूँ ….. बहुत बहुत धन्यवाद आपका

    • विभा रानी श्रीवास्तव

      स्नेहाशीष बच्ची …..

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