कहानी

*काला कलंग*

 

सोच तो रही हूँ ,अपने कुछ विचार , कुछ अनुभव भी लिखूँ , लेकिन शुरुआत कहाँ से करूं , भ्रूण ह्त्या , दहेज़-प्रथा , सास-बहु के झगडे के बाद जलाना ,पति-पत्नी के तलाक की ख़बरें तो अब बासी लगने लगी है….
किसकी कथा-व्यथा से शुरुआत करूँ…. ??
सीता-अनसुइया की बात करूं ,तो उनके पतिव्रता के साथ-साथ उनकी अग्नि-परीक्षा की भी बात उठेगी ……..सुनती आई हूँ , जब राम जी वनवास जा रहे थे ,तो सीताजी की सुरक्षा के लिए , सीताजी को अग्निदेव को सौंप कर , उनकी छायामुर्ती(shadow) को लेकर वनवास काटी और जब अयोध्या लौटने लगे तो अग्निदेव से सीताजी को वापस लेने की “अग्नि-परीक्षा” की लीला हुई …. लेकिन मैं ,कलयुगी बहुत सारे ऐसे राम को जानती हूँ जो अपनी सीता को , अपने उन्नति(Promotion) , कोई ठीका(Tendar) के लिए रावण के पास भेज देते है या एक नये जमाने का प्रचलन शुरु हुआ है…… या यूँ कह लें आज के समाज की काला कलंक……
wife- Swoping(exchange)….
तो चलिए ,आज आपको एक सच्ची घटना लिख कर बताती हूँ ….. करीब,27-28 साल पहले की सच्ची बात है , दो पड़ोसी नवयुवक , नई-नई शादी ,नया – नया नौकरी के नशे की खुमारी और उसपर नई-नई सोच ने जोश दिलाया , दोनों ने निर्णय किया कि आज wife Swoping(exchange) कर जिन्दगी का आनन्द उठाया जाए …. वे दोनों अपनी-अपनी पत्नी से बात कर ,उन्हें मना कर ,तैयार कर लिए …. रात हुई , दोनों की पत्नियाँ , एक दुसरे के घर के गईं….. | आधी रात को, कुछ शोर-हल्लागुल्ला सुन ,अगल-बगल के घरों में जागरण हो गया ,तब पता चला कि एक की पत्नी ग़ुम हो गई है ,सभी मिलकर खोज शुरू किये ….. बहुत देर के बाद वो “पत्नी” घर के छत पर पानी के टंकी में बैठी मिली और सब बातों का खुलासा सबके सामने हूआ…. आज भी उस घटना को याद कर , रोंगटे खड़े हो जाते है….. एक की किस्मत कहिये या हिम्मत अपनी लाज बचाली,लेकिन क्या , उसके नज़रों में , अपने पति का सम्मान बचा…. ? या जिसका लाज नहीं बचा ,उसका औरो के नजर में सम्मान बचा…. ? जो औरतें अपनी मर्जी से इस मौज-मस्ती-फैशन-खेल में शामिल होती है ….. उनके लिए कोई कुछ नहीं कर सकता है …. लेकिन जिन औरतों को , इसमें जबरदस्ती शामिल किया जाता है ….. उनपर , क्या बीतती होगी…. ? हम-आप कल्पना भी नहीं कर सकते हैं …. जो औरतें , अपना शरीर अपनी मर्जी या मजबूरी में बेचने का धंधा करती हैं ,उसे हमारा समाज बुरा – भला बोल,उसका वहिष्कार करता है…. इन कलयुगी राम का हम-आप क्या करें …… ? कुछ औरतें ख़ुशी – ख़ुशी भी शामिल होती हैं क्या .…
पहले तो एक दो किस्से सुनने-देखने को मिलते थे ….. अब तो ऐसी बातें ,आम-बात होती जा रही है …..

जबाब के इन्तजार में…………………………

विभा रानी श्रीवास्तव

*विभा रानी श्रीवास्तव

"शिव का शिवत्व विष को धारण करने में है" शिव हूँ या नहीं हूँ लेकिन माँ हूँ

6 thoughts on “*काला कलंग*

  • विजय कुमार सिंघल

    यह ‘आधुनिक’ कहलाने वाली ‘सभ्यता’ की बुराइयां हैं, जो समाज को नष्ट कर डालेंगी.

    • विभा रानी श्रीवास्तव

      सच कहे आप …. बहुत बहुत धन्यवाद आपका जी

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    विभा बहन , पहले तो आप को धन्यवाद देना चाहूँगा कि इतना गंभीर विशा आपने लोगो के सामने पेश किया . १९ वर्ष का था जब मैंने भारत छोड़ा था , कैसा भारत होता था उस समय , मैं एक छोटी सी सच्ची घटना हमारे गाँव की लिखूंगा , हुआ यों कि एक लड़के ने एक लड़की की कलाई पकड़ ली . उस ने घर आ कर सारी बात बताई . पंचाएत में उस लड़के को बुलाया गिया , उस का मुंह काला करके गधे पर चडाया गिया और सारे गाँव के गिर्द एक गधे पर बैठे लड़के को घुमाया गिया , वोह लड़का गाँव छोड़ कर कहीं चला गिया , दस वर्ष बाद जब वोह वापिस गाँव में आया तो लोग कहने अरे देखो ! वोह फिर आ गिया . यानी एक दफा जो कलंक लगा सारी उम्र धुल नहीं सका . आप ने जो लिखा सुन कर इतना दुःख हुआ , बता नहीं सकता . हम कहाँ जा रहे हैं ?

    • विभा रानी श्रीवास्तव

      आभारी हूँ आपकी _/_

  • उपासना सियाग

    ऐसा कोई भी महिला नहीं करना चाहेगी , अच्छा सवाल उठाया आपने कलयुगी राम पर।

    • विभा रानी श्रीवास्तव

      बहुत विश्वास के साथ महिलाओं के बारे मैं नही कह पाती …. समाज में भांति भांति की स्त्री मिलेगी ….
      जबाब नही मिलता न जी ….. बहुत बहुत धन्यवाद आपका

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