कविता

जब मै कविता पढ़ता हूँ

जब मै कविता  पढ़ता हूँ

पत्ते पर बैठ  कर चीटियों सा

नदी पार करने लगता हूँ  ,..
जब मै कविता  सुनता हूँ  ,..
सीधे जडो में पहुँच  जाता हूँ
फिर  पानी की तरह शिराओ में
पहुँच  कर
पत्तो की तरह हरा हो जाता हूँ
जब मै कविता  के लिए शब्द चुनता हूँ
.तब दुःख  सीढ़ियों से उतरने लगता है
इन्द्रधनुष की तरह
मेरे मन में उल्लास उभरने लगता है
.जब मै  कविता  लिखता हूँ
,कन-पटियों में गर्म लोहा पिघल कर ,.
.लेने लगता है विभिन्न आकार …
तब घास के दर्दो से चुभ जाते है मेरे पांव
जब मै कविता  समाप्त करता  हूँ .
कृष्ण की बांसुरी  की सुनाई देती है
सूदूर  से आती हुई मिट्ठी तान
किशोर कुमार खोरेन्द्र

किशोर कुमार खोरेंद्र

परिचय - किशोर कुमार खोरेन्द्र जन्म तारीख -०७-१०-१९५४ शिक्षा - बी ए व्यवसाय - भारतीय स्टेट बैंक से सेवा निवृत एक अधिकारी रूचि- भ्रमण करना ,दोस्त बनाना , काव्य लेखन उपलब्धियाँ - बालार्क नामक कविता संग्रह का सह संपादन और विभिन्न काव्य संकलन की पुस्तकों में कविताओं को शामिल किया गया है add - t-58 sect- 01 extn awanti vihar RAIPUR ,C.G.

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