गीतिका/ग़ज़ल

न जाने क्यों….

न जाने क्यों तुम हरदम रहते बेजुबान से हो
अब तक न सुनी न कही गयी दास्तान से हो
अफ़सोस तेरे बारे में जान न पाया कुछ भी
पर तुम तो मेरे प्रणय गीत के उन्वान से हो
टूटे तारे सा जमीं पर बिखर गया हूँ तो  क्या
तुम लगते मुझे ,  इंद्रधनुषी आसमान से हो
ताउम्र जीकर  भी समझ में नहीं आई  जिंदगी
मेरे लिए तुम भी तो  सवाल कहाँ आसान से हो
न कुछ खोया न कुछ पाया इस जहाँ में आकर
जाते जाते  बचे हुए मेरे अंतिम अरमान से हो
किशोर कुमार खोरेन्द्र 
(दास्तान =कहानी ,उन्वान =शीर्षक ,अरमान =इच्छा )

किशोर कुमार खोरेंद्र

परिचय - किशोर कुमार खोरेन्द्र जन्म तारीख -०७-१०-१९५४ शिक्षा - बी ए व्यवसाय - भारतीय स्टेट बैंक से सेवा निवृत एक अधिकारी रूचि- भ्रमण करना ,दोस्त बनाना , काव्य लेखन उपलब्धियाँ - बालार्क नामक कविता संग्रह का सह संपादन और विभिन्न काव्य संकलन की पुस्तकों में कविताओं को शामिल किया गया है add - t-58 sect- 01 extn awanti vihar RAIPUR ,C.G.

One thought on “न जाने क्यों….

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    बहुत अच्छी कविता है.

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