कविता

साये सा ….

 

तुम्हारी रगों में
रक्त की तरह
प्रवाहित होता रहता हूँ

तुम्हारे मष्तिष्क में
साये सा उपस्थित रहता हूँ

मुझे तुम भूल नहीं पाते
रुमाल या किताब या चाबी के बहाने
मुझे तलाशते ही रहते हो

तुम्हे हर पल ऐसा लगता है
जैसे
कोई किमती वस्तु खो गयी है

सरक कर धुप के
करीब आते ही
मेरे स्पर्श को महसूस करते हो

फूलों सा खिला हुआ मुझे ही
आँगन में पाते हो

उड़ते हुए पतंग को
मुझे मानकर
देखते समय डर जाते हो
कही वह कट कर गिर ना जाए

चाय की तरह
अकेले में मुझे
पी लिया करते हो

तुम्हारी हर सांस में
मेरे प्रति चाह
और और बढती जाती है

तुम मुझे अपने परिधान
या
अपने जिस्म के रंग की तरह
अपने बहुत समीप पाते हो

आईने में मैं ही
नज़र आता हूँ तुम्हें

दिन में
मैं तुम्हारा खूबसूरत तसव्वुर हूँ
रात में
मैं तुम्हारा सुन्दर सा ख़्वाब हूँ

किशोर कुमार खोरेन्द्र

किशोर कुमार खोरेंद्र

परिचय - किशोर कुमार खोरेन्द्र जन्म तारीख -०७-१०-१९५४ शिक्षा - बी ए व्यवसाय - भारतीय स्टेट बैंक से सेवा निवृत एक अधिकारी रूचि- भ्रमण करना ,दोस्त बनाना , काव्य लेखन उपलब्धियाँ - बालार्क नामक कविता संग्रह का सह संपादन और विभिन्न काव्य संकलन की पुस्तकों में कविताओं को शामिल किया गया है add - t-58 sect- 01 extn awanti vihar RAIPUR ,C.G.

One thought on “साये सा ….

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    वाह वाह ,किया बात है.

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