कविता

मैंने कर लिया है तुम्हे ह्रदयंगम

तुम हो मेरे हमदम

यदि तुम प्यार का सागर हो 
तो मैं हूँ प्रेम मे तुम्हारे 
उन्मत एक उदगम 
तुम हो मेरे हमदम


तुम्हारे नाम को ,रूप को
रेखांकित कर चुका है
मेरा स्मृति पटल
मेरे मन में तुम्हारी याद
कभी न होगी कम
मैंने कर लिया है तुम्हे ह्रदयंगम
तुम हो मेरे हमदम


तुमसे मिलन की आश में
विरह को जीता आया हूँ अब तलक
मैं कई कई जनम
तुम हो मेरे हमदम


मेरी रूह की प्यास जो बुझा दे
अमृत से बनी वही
एक बूंद हो तुम शबनम
तुम हो मेरे हमदम

kishor kumar khorendra 

किशोर कुमार खोरेंद्र

परिचय - किशोर कुमार खोरेन्द्र जन्म तारीख -०७-१०-१९५४ शिक्षा - बी ए व्यवसाय - भारतीय स्टेट बैंक से सेवा निवृत एक अधिकारी रूचि- भ्रमण करना ,दोस्त बनाना , काव्य लेखन उपलब्धियाँ - बालार्क नामक कविता संग्रह का सह संपादन और विभिन्न काव्य संकलन की पुस्तकों में कविताओं को शामिल किया गया है add - t-58 sect- 01 extn awanti vihar RAIPUR ,C.G.

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