हाइकु/सेदोका

मदनोत्सव

1
षट रागिनी
कुहू लगे मन पे
कुसुमागम ।
2.
किंशुक- छाया
वशीभूत अचला
तृप्त मानव ।
3
देख के बौर
बौराये मत्त भौंरा
गुनगुनाए ।
4
पीली चुनरी
धरा बनी दुल्हन
हल्दी रस्म में।
5
उड़ा गुलाल
धनक बनी धरा
गगन लाल।
6
पिघल जाता
अवसाद के तुषार
टेसू ताप से।
7
भूमि सज ली
सृष्टि ब्यूटीशियन
टेसू लाली से ।
8
हँसा वसंत
कली अलि चुहल
आहत धुंध ।

*विभा रानी श्रीवास्तव

"शिव का शिवत्व विष को धारण करने में है" शिव हूँ या नहीं हूँ लेकिन माँ हूँ

4 thoughts on “मदनोत्सव

    • विभा रानी श्रीवास्तव

      thank you sir ….. thank you so much

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छे हाइकु

    • विभा रानी श्रीवास्तव

      बहुत बहुत धन्यवाद और आभार आपका

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