गीत/नवगीत

अजनबी रास्तों का सफर जिन्दगी….

अजनबी रास्तों का सफर जिन्दगी
मे तुम्हे जान लूं , तुम मुझे जान लो।
बात करने दो दिल को घडी दो घडी
धडकनें एक दूजे की पहचान लो ॥
अजनवी रास्तों का सफर जिन्दगी….

हमने माना अभी है, सुहाना सफर
कब बदल जाये मौसम, किसे है खबर
साथ जब तक है ,बनकर के साथी चले
जाने कल तुम कहां ,और कल हम किधर
लडखडाए कदम मुश्किलों अगर, में तुम्हे थाम लूं, तुम मुझे थाम लो….
अजनवी रास्तों का सफर जिन्दगी….

क्या पता फिर कभी हम मिलं ना मिलें
जो भी पल हैं खुशी के चलो बांट ले
तुम भी छेडो कोई राग दिल का सखा
हम भी दिल के चहकते तराने कहें
जिन्दगी में कभी बात यादों की हो, मे तेरा नाम लूं, तुम मेरा नाम लो…..
अजनबी रास्तों का सफर जिन्दगी…..

ये जरुरी नही हाथ मे हाथ हो
मन से मन मिल गया और क्या चाहिये।
जाने कितने दिनों का सफर जिंदगी
साथ लेकर हंसी यादें मुस्काईये॥
है मोहब्बत का पैगाम ये जिन्दगी,में भी ये जान लूं, तुम भी ये जान लों….
अजनबी रास्तों का सफर जिन्दगी…..

सतीश बंसल

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.