कहानी

कालू उस्ताद

“कालू उस्ताद! कालू उस्ताद …” बेदम हाँफते हुए फुदरु ने कालू उस्ताद के पास आते हुए कहा ।
” कालू उस्ताद….” फुदरु ने नजदीक आके रुकते हुए कहा
” हम्म …क्या है ? ” कालू उस्ताद ने लेटे लेटे ही कहा
” कालू उस्ताद ! खजरा और उसके साथी हमारे मोहल्ले की तरफ जा रहें हैं ” फुदरु ने एक सांस में कहा
“क्या!!!.. खजरा और उसके साथी हमारे मोहल्ले में ?” कालू उस्ताद को जैसे बिजली का झटका लगा हो और उछल के खड़ा होता हुआ बोला ।
” हाँ उस्ताद , अभी अभी मैंने उन्हें जाते हुए देखा है ” फुदरु ने जबाब दिया ।
” उनकी यह हिम्मत ! तू चल जरा ” इतना कह कालू उस्ताद ने तेजी से अपने मोहल्ले लाल पुरा की तरफ दौड़ लगा दी ।उसके पीछे फुदरु हो लिया ।

कालू लालपुरा का एक आवारा कुत्ता है , पुरे मोहल्ले के कुत्तो से ताकतवर और रौबीला । रंग एक दम काला आँखे हल्की लाल देखने वाला एक क्षण के लिये डर ही जाए, अपने इसी रौबीले और ताकत के कारण सभी कुत्ते कालू को कालू उस्ताद कहते । मोहल्ले बच्चे उससे बहुत प्यार करते थे कोई उसे पापे खिलाता तो कोई उसे बिस्किट दे देता । कालू भी बच्चों के साथ मस्त रहता और उनके साथ साथ लगा रहता , कालू ने कभी किसी बच्चे को नुकसान नहीं पहुचाया था जबकि बच्चे कभी कभी उसके मुंह में हाथ डाल देते या उस पर बैठ के उसके कान खीचते । खजरा दूसरे मोहल्ले का कुत्ता था जो लालपुरा में चोरी चुपके से आता और घरो से खाने पीने की चीजे चुरा लेता या किसी बच्चे को नुकसान पहुंचा देता । आज खजरा फिर अपने साथियों के साथ आ रहा था ।

कुछ ही क्षणों में कालू उस्ताद लालपुरा के मेन गेट के पास फुदरु और अपने चार और साथियों के साथ आक्रमक मुद्रा में खजरा के स्वागत के लिए खड़े थे। खजरा दूर से ही अपने साथियों के साथ आता हुआ दिखाई दिया । जैसे ही खजरा मेन गेट के पास आया वैसे ही कालू उस्ताद उसके सामने आ खड़ा हुआ , दोनों की आँखे मिली और दोनों सावधान होके आक्रमण के लिए तैयार हो गए ।

अगले ही क्षण खजरा ने कालू उस्ताद की गर्दन पकड़ने की लिए छलांग लगा दी , पर कालू उस्ताद भी सावधान था उसने अपना बचाव करते हुए खजरा के कान पकड़ लिए और पटक दिया और अपने दांत खजरा की गर्दन पर गड़ा दियें ।खजरा बेबस सा हो गया और कूँ कूँ करता हुआ वंहा भाग लिया ।
जैसे ही खजरा भगा उसके साथी कुत्ते भी उसके पीछे वापस भाग लिए , फुदरु और बाकी लालपुरा के कुत्तो ने खजरा और उसके साथियों का थोड़ी दूर पीछा किया फिर वापस आ गए।

कालू ने गर्व से सीना फुलाए मोहल्ले में प्रवेश किया , पीछे पीछे फुदरु चल रहा था । एक घर के सामने से गुजरते हुए कालू एक दम ठिठक गया । उसने वापस घर में झाँक के देखा , सहसा उसको अपनी आँखों पर विश्वाश नहीं हुआ और उसने अंदर झाँक के देखा ।

अंदर एक सफ़ेद सुंदर सी विदेशी नश्ल की कुतिया बंधी थी , कालू आँखे फाड़ के कुछ देर तक देखता रहा इतनी सुंदर कुतिया आज तक उसने नहीं देखी थी ।

कुतिया की नजर जैसे ही कालू पर पड़ी उसने जोर जोर से भौकना शुरू कर दिया , उसका भौकना सुन कालू सकपका गया । तभी कुतिया की आवाज सुन उसकी मालकिन ने आवाज लगाई –
” कौन है दरवाजे पर?”
मालकिन की आवाज सुन कालू तुरंत वंहा से भाग लिया । थोड़ी दूर जाने के बाद उसने फुदरु से पूंछा ।
” अबे फुदरु ये सुंदरी कौन है ? पहली बार देख रहा हूँ इसे इस महल्ले में?
“उस्ताद ! दो दिन पहले ही इसकी मालकिन इसे लेके आई है इसका नाम नैन्सी है , अपनी मालकिन की तरह यह भी खड़ूस है और हम जैसे आवारा कुत्तो से नफरत करती है ” फुदरु ने पीछे पीछे चलते हुए कहा।
” अच्छा!! पर है बड़ी मस्त ” कालू ने एक गहरी सांस लेते हुए कहा
बदले में फुदरु मुस्कुरा दिया , उसने कालू की मन की बात ताड ली थी और थोडा व्यंगात्मक लहजे में बोला ।
” उस्ताद ! इसकी मालकिन रोज सुबह 6 बजे इसे पार्क में घुमाने ले जाती है ”
“अच्छा!! ले जाती होगी … मुझे क्या ? ” कालू रूखे स्वर में बोला
कालू का रुखा स्वर सुन फुदरु चुप हो गया ।

अगली सुबह 5: 30 बजे ही कालू पार्क के बाहर बैठा था , कुछ देर बाद नैन्सी अपनी मालकिन के साथ आती हुई दिखाई दी । कीमती और चमकीले पट्टे में नैन्सी खूबसूरत लग रही थी , कालू ने एक ठंढी आह भरी ।
नैन्सी कालू के सामने से यूँ अकड़ के निकल गई जैसे उसे देखा ही नहीं , कालू नैन्सी के इस व्यवहार से उदास स हो गया फिर भी दिल है की मानता नहीं वाली स्थिति थी ।
अब कालू भी नैन्सी और उसकी मालकिन के पीछे पीछे थोड़ी दुरी बना चलने लगा । जब नैन्सी ने कालू को अपने पीछे पीछे चलते देखा तो मुड़ के गुर्राने लगी । जब मालकिन ने नैन्सी का गुर्राना देखा उसने कालू को एक पत्थर मारा । पत्थर सीधा कालू के पैर में लगा , चोट जबरजस्त थी तेज दर्द के कारण कालू के मुंह से चीख निकली और वह लंगड़ाता हुआ वंहा से भगा ।

दो दिन बाद फिर कालू पार्क के पास बैठा था , उस दिन की चोट के कारण कालू अब भी लंगड़ा के चल रहा था । अपने ठीक समय पर नैन्सी अपनी मालकिन के साथ आई , कालू को देख उसने फिर मुंह बिचकाया पर कालू चुपचाप बैठा रहा और नैन्सी को देखता रहा । ऐतिहात के तौर पर मालकिन ने फिर पत्थर उठा लिया था , पर कालू अपनी जगह बैठा रहा ।
पार्क में घूमने के बाद नैन्सी अपनी मालकिन के साथ वापस जाने लगी , कालू अब भी उसे ही देख रहा था । नैन्सी ने एक बार फिर गुस्से में हलका सा गुर्राया और आगे बढ़ गई जैसे कह रही हो ” बद्तमीज’
उनके जाने के बाद कालू लंगड़ाता हुआ वापस चला गया ।इस तरह कई दिन हो गए कालू रोज पार्क के पास बैठ जाता और नैन्सी को देखता रहता पर नैन्सी ने एक बार भी उसकी तरफ सही से नजर उठा के नहीं देखा हमेशा नफरत भरी नजर से ही देखा।

कई दिनों तक कोई रिस्पॉन्स न मिलने के कारण कालू निराश हो गया और उसने पार्क में जाना बंद कर दिया , वह थोडा उदास सा रहने लगा । वह सोचता की अगर वह आवरा है और सुंदर नहीं है तो इसमें उसकी क्या गलती है , नैन्सी उससे इतनी नफरत क्यों करती है ।

एक रात कालू एक खाली प्लाट में सो रहा था , रात के तकरीबन 2-3 बजे होंगे की फुदरु उसके पास आता है और उसे जगा के कहता है –
” उस्ताद! जिस घर में नैन्सी रहती है उस घर में तीन चोर घुसे हैं ”
” तो!! मैं क्या करूँ? हो जाने दे चोरी … अपन को क्या ?” कालू ने आँखे बंद किये ही कहा
” पर उस्ताद यह तो हमारे मोहल्ले की बेज्जती हो जायेगी की हमारे रहते कोई चोरी हो जाए ” फुदरु ने थोडा सख्त लहजे में कहा
” तो साले ! हमने क्या उसके घर का ठेका लिया हुआ है ? साले ये इंसान कमीने होते हैं देखा नहीं उस दिन बिना बात के कैसे मेरे पैर पर पत्थर मार दिया था ? पूरा हफ्ते भर लंगड़ा के चला था “-कालू ने गुस्से में कहा
” पर उस्ताद …” फुदरु कुछ कहना चाहता था
“पर वर कुछ नहीं .. चल अब भाग यंहा से ” कालू ने गुस्से में कहा ।
फुदरु वंहा से चला गया ।
फुदरु के जाने के बाद कालू सोने की कोशिश करने लगा पर उसे नींद नहीं आई , वह बेचैन होके उठा और नैन्सी के घर की तरफ चल दिया ।

नैन्सी के घर पहुचते ही वह दबे पाँव दरवाजे पर पहुंचा , हल्का सा दरवाजे को मुंह से धक्का दिया । दरवाजा खुला हुआ था , शायद चोरो ने भागने के लिए पहले से ही दरवाजा खोल के रखा हुआ था । उसे आस्चर्य हो रहा था की नैन्सी क्यों नहीं जागी और क्यों नहीं भौंक रही है , वह थोडा आगे बढ़ा तो उसके पैरो से एक बोरी टकराई उसने सूंघ के देखा तो उससे नैन्सी की गंध आ रही थी । बोरी का मुंह बंद था वह तुरंत समझ गया की चोरो ने नैन्सी को बेहोश कर दिया है और वे उसे भी बोरी में बंद कर चुरा के ले जाने वाले हैं

कालू सावधान हो गया क्यों की चोर संख्या में अधिक थे और हथियरो से लैस थे । वह चुपचाप दरवाजे के पीछे छिप कर उनके आने का इन्तेजार करने लगा । तक़रीबन 15 मिनट बाद चोर निकलते हुए दिखे उनके हाथ में वह बोरी भी जिसमें नैन्सी बंद थी । चोरो ने हलके से दरवाजा खोला और एक एक कर बाहर जाने लगे , जैसे ही तीसरा चोर बहार निकलने लगा वैसे ही कालू ने छलांग लगा चोर का पैर अपने जबड़े में भर लिया । यूँ अचानक हुए हमले से चोर सकपका गया और चीख मारता हुआ धड़ाम से गिर गया बाकी दोनों चोर भी चौंक गए। कालू सख्ती से पैर पकडे पकडे आवाजे निकाल रहा था, चोरो ने उस पर लात बरसानी शुरू कर दी पर कालू की पकड़ से वे लोग अपने साथी को नहीं छुड़ा पा रहे थे ।

अचानक एक चोर ने जेब से चाक़ू निकाला और कालू पर वर कर दिया , चाक़ू लगने पर कालू ने पैर छोड़ दिया पर जोर जोर से भौकना शुरू कर दिया ।कालू की आवाज सुन फुदरु और बाकी कुत्ते घटना स्थल की तरफ भौकते हुए दौड़ने लगे । इधर शोर से नैन्सी की मालकिन और उसके परिवार वाले जाग गए उन्होंने भी शोर मचाना शुरू कर दिया उसके बाद पडोसी भी जाग गए और अपने अपने दरवाजे खोल बाहर आ गए । चोर चारो तरफ से घिर चुके थे , इधर कालू का खून बहना जारी था और उसका भौकना धीरे धीरे कम हो रहा था । फुदरु ने जब कालू की हालत देखि तो उसे चोरो पर बहुत गुस्सा आया और वह अपने साथियों सहित चोरो पर टूट पड़ा।

लोगो ने भी चोरो की खूब पिटाई की और पुलिस के हवाले कर दिया , पर इस बीच किसी को भी कालू की याद नहीं आई । अधिक खून बह जाने के कारण कालू मर चुका था , जब भीड़ छंटी तो सिर्फ फुदरु और बाकी कुत्ते ही कालू की लाश के पास थे । सुबह mcd की गाडी आई और कालू की लाश को उठा ले गई …

— केशव ( संजय)

संजय कुमार (केशव)

नास्तिक .... क्या यह परिचय काफी नहीं है?

One thought on “कालू उस्ताद

  • मनोज पाण्डेय 'होश'

    यथार्थ यही कुछ है। अच्छी कहानी है। बधाई

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