गीतिका/ग़ज़ल

ख़्वाब की तरह

ख़्वाब की तरह से आँखों में छिपाये रखना
हमको दुनिया की निगाहों से बचाये रखना

बिखर न जाऊँ कहीं टूट के आंसू की तरह
मेरे वजूद को पलकों पे उठाये रखना

आज है ग़म तो यक़ीनन ख़ुशी भी आएगी
दिल में इक शम्मा तो उम्मीदों की जलाये रखना

तल्ख़ एहसास से महफ़ूज रखेगी तुझको
मेरी तस्वीर को सीने से लगाये रखना

ग़ज़ल नहीं, है ये आइना-ए- हयात मेरी
अक़्स जब भी देखना एहसास जगाये रखना

ग़मों के साथ मोहब्बत, है ये आसान नदीश
ख़ुशी की ख्वाहिशों से खुद को बचाये रखना

— लोकेश नदीश

One thought on “ख़्वाब की तरह

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    बहुत खूब .

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