क्षणिका

बहाना मिले तो

गीत कोई अच्छा सुनने को मिले, तो झूम लेती हूं
अच्छी-सी कोई धुन कानों में पड़ जाए, तो ठुमका लगा लेती हूं
साज़ कोई सुरीला मिले, तो बजा लेती हूं
हंसने का कोई बहाना मिले, तो हंस लेती हूं
खुश होने का कोई बहाना न मिले, तो यों ही खुश हो लेती हूं
छोटी-सा ही सही पर खुशियां मनाने का बहाना मिले तो
मना लो जश्न अभी आज ही, न जाने कल मनाने का अवसर मिले-न-मिले.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

2 thoughts on “बहाना मिले तो

  • लीला तिवानी

    प्रिय गुरमैल भाई जी, बहुत बढ़िया, शुक्रिया.

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    मना लो जश्न अभी आज ही, न जाने कल मनाने का अवसर मिले-न-मिले, वाह किया बात है .

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