कहानी

कहानी : और कहानी पूरी हुई…

“राघव तुम मुझ से प्यार तो करते हो न ?” नमिता ने राघव की आँखों में झांकते हुए पूछा ।
“अरे यार! यह भी कोई पूछने की बात है …. बहुत प्यार करता हूँ मेरी जान तुमसे” राघव ने नमिता बाँहो में भरते हुए कहा ।
“पर हम शादी कब करेंगे ? एक साल से अधिक हो गये हैं हमें प्यार करते हुए … मुझे डर लगता है अब .. सच में मैं तुम्हारे बिना जी नहीं सकती।” नमिता ने राघव का हाथ अपने हाथ में लेते हुए कहा ।
“जल्द ही करेंगे, कुछ दिन और रुको, मैं अपने घरवालों से बात करता हूँ … अभी थोडा और सैटल हो जाने दो।” राघव ने नमिता से हाथ छुटाते हुए फिर से गले लगाते हुए कहा।
“कितना सैटल होंगे! तुम भी जॉब कर रहे हो और मैं भी .. राघव अपनी जिंदगी बहुत अच्छी कटेगी ” नमिता ने राघव की तरफ देखते हुए कहा ।
“ओह्हो! तुम भी अच्छे भले मूड का सत्यानाश कर देती हो… अच्छा बाबा ! जल्दी ही कर लूंगा न बात अपने घरवालों से … अब आओ पास! रहा नहीं जा रहा है।” राघव ने इतना कह नमिता को अपनी बाँहो में खींच के बैड पर लिटा दिया। फिर एक एक कर उसके सारे वस्त्र उतारने लगा। नमिता ने भी अनमने मन से समर्पण कर दिया राघव की जिद के आगे ।

यह पहली बार नहीं था , ऐसा कई बार हो चुका था। राघव और नमिता एक ही दफ्तर में काम करते थे। राघव का पता नहीं पर नमिता उससे बहुत प्यार करती थी और उसके साथ जीवन बिताना चाहती थी। इसी लिए वह राघव द्वारा अपने साथ चाहे-अनचाहे शारीरिक सम्बन्ध बनाने के लिए राजी भी हो जाती थी । उसे यकीन था कि राघव और उसकी शादी होनी ही है, बहुत विश्वास करती थी वह राघव पर।

कई महीने और बीत गएँ यूँ ही, राघव नमिता से शादी का वादा करता और उसके साथ शारीरिक सबंध बनाता।
एक दिन राघव और नमिता कॉफी शॉप में बैठे थे कि नमिता ने राघव का हाथ पकड़ते हुए कहा –
“राघव! अब जल्द ही अपने परिवार वालो से हमारी शादी की बात कर लो!”
“अरे यार! फिर तुम शादी की कहानी लेके बैठ गईं .. कर लूंगा बात .. क्या जल्दी है?” राघव ने झुंझलाते हुए कहा।
“कर लूंगा .. कर लूंगा … यही कहते आ रहे हो .. कब करोगे? जब देर हो जायेगी तब?” नामित ने भी थोडा गुस्सा होते हुए कहा।
“तुम्हें इतनी जल्दी क्यों है? क्या आफत आ रही है?” राघव ने आस-पास देख के नमिता को गुस्से से कहा।
“जल्दी है न ! मैं माँ बनने वाली हूँ … तुम्हारे बच्चे की .. 2 महीने हो गए हैं!” नमिता ने एक दम से जबाब दिया।

अब तो राघव के पैरो के नीचे जमीन खिसक गई, सहसा उसे यकीन नहीं हुआ नमिता की बात उसने लगभग चीखते हुए कहा- “क्या बकवास कर रही हो ? ऐसा कैसे हो गया … तुम झूठ बोल रही हो!” राघव ने इतने गुस्से और जोर से कहा था कि कॉफी शॉप में बैठे लोग और स्टाफ उन्हें देखने लगा।
“यह सच है राघव!… एक दम सच.. मुझे भी आज ही पता चला है जब मेरी तबियत खराब हुई और मैं डॉक्टर के पास गई!” नमिता ने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा।
राघव ने हाथ छुड़ाते हुए कहा- “तो चलो अभी के अभी अबॉर्शन करवा दो .. चलो मेरे साथ!” राघव ने नमिता का हाथ पकड़ के खींचते हुए कहा।
” राघव!, पागल हो गए हो क्या! मुझे नहीं करवाना है अबॉर्शन … तुम मुझ से शादी करोगे!” नमिता ने सख्त लहजे में कहा ।
नमिता का इतना कहना था कि राघव उठा और गुस्से से कॉफी शॉप से बाहर निकल गया, पीछे पीछे नमिता भी उसे रोकने की कोशिश करती रही, पर राघव तेजी से बाइक के पास आया और स्टार्ट कर वहां से चला गया।

उसके बाद नमिता ने कई बार राघव से फोन पर बात करने की कोशिश की, परन्तु राघव कभी फोन काट देता, तो कभी फोन ही स्विच ऑफ़ कर देता। वह कई दिनों तक ऑफिस ही नहीं आया, आखिर थककर नमिता राघव के उस फ्लैट पर पहुंची जहां वह किराये पर रहता था।

नमिता को देखते ही राघव आगबबूला हो गया , काफी बहस हुई उन दोनों के बीच। राघव ने साफ़ साफ़ कह दिया कि उसके घरवाले उसकी शादी नमिता से करने को तैयार नहीं हैं। राघव के घरवाले उसकी शादी किसी ‘अच्छे खानदानी’ घर में करवाना चाहते हैं और नमिता उस लायक नहीं। राघव ने यहां तक कह दिया कि जो लड़की शादी से पहले किसी लड़के के साथ शारीरिक सम्बन्ध बना सकती है वह कितनी चरित्रहीन होगी।
राघव का शादी से इंकार और इस तरह चरित्रहीनता का आरोप लगाना नमिता को सहन नहीं हुआ। वह रोती हुई राघव के फ्लैट से निकल गई।

राघव ने बेंगलोर से नौकरी छोड़ दी और दिल्ली आकर नई नौकरी करने लगा । नमिता से वह फिर कभी नहीं मिला और लगभग उसे भूल ही गया था। दिल्ली में नए दफ्तर में उसे फिर एक नई लड़की मिल गई थी और फिर वह उससे प्यार की पींगे बढ़ाने लगा था ।

एक दिन अचानक उसके घर लखनऊ से फोन आया , फोन उसकी माँ का था- “हेलो राघव! तू जल्दी से घर आ जा लता हॉस्पिटल में भर्ती है उसने सुसाइड करने की कोशिश की है फिनाइल पीके।” लता राघव की छोटी बहन थी और लखनऊ में ही रेगुलर कॉलेज में पढ़ती थी ।
आनन फानन में राघव लखनऊ पंहुचा, हॉस्पिटल पहुँच के माँ ने बताया कि लता किसी लड़के से प्यार करती है। उस लड़के ने लता को शादी का झांसा देके उसके साथ कई बार शारीरिक सबंध बनाये और जब लता प्रेगनेन्ट हो गई तो उसे छोड़ के कहीं भाग गया। उसी डिप्रेशन में लता ने फिनाइल पी के अपनी जिंदगी ख़त्म करने चली थी ।

राघव की माँ रो-रो के सारी बात बताये जा रही थी और सैकड़ों गालियां उस लड़के को दिए जा रही थी जिसने लता को प्रेगनेन्ट किया । पर राघव तो जैसे सुन ही नहीं रहा हो … उसे नमिता याद आ रही थी… अपना किया हुआ हर जुल्म याद आ रहा था जो उसने नमिता के शरीर और भावनाओ से किया था। वह मूर्ति बना बस खड़ा था ।

– केशव ( संजय)

संजय कुमार (केशव)

नास्तिक .... क्या यह परिचय काफी नहीं है?

2 thoughts on “कहानी : और कहानी पूरी हुई…

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छी कहानी !

  • विभा रानी श्रीवास्तव

    बहन पर गुजरी तो आँख खुली …. तब तक समय कहां इंतजार करने वाला था ….. लडकियों को अपनी आँख हमेशा खुली रखनी चाहिए …. शादी के पहले शारीरिक सम्बन्ध हमेशा के लिए दुखदाई होता है …..

    प्रेरक कहानी …. उम्दा लेखन

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