मेरी कहानी 142
जीत से मिल कर मन बहुत प्रसन्न हुआ था। मिल कर हम ने वह सभी बातें कीं जो अपनी कहानी में मैं
Read Moreजीत से मिल कर मन बहुत प्रसन्न हुआ था। मिल कर हम ने वह सभी बातें कीं जो अपनी कहानी में मैं
Read Moreआज का मानव ,मानव को इसी तरह खा रहा है जिस तरह किट-पतंगे (दिमक) घर की दीवारों को खा जाते
Read Moreगोपू को जादुई किस्से कहानियाँ पढ़ने का बहुत शौक था. हमेशा वो परी कथा और जादूगर के बारे में पढ़ता
Read Moreअब ये इश्क़ भी अजीब लत है तेरे ख़याल मुझे रंग देते हैं हर पल एक नए रंग में या
Read Moreएक उड़ते पंछी की तरहा तन्हा पानी की लहरों जैसी हलचल वाली बहती हवा जैसी मस्त तूफानो जैसी हिम्मत वाली
Read Moreअभी भी भरा है मेरे लफ्ज़ो का खज़ाना कलम का मेरी अभी भी है आना जाना पर रूक सा गया
Read Moreआज सड़क पर देखा एक अकेला साया चला जा रहा था चुप चाप अपने में खोया सा मैंने धयान से
Read Moreकैसे व्यक्त करूँ मैं अपने हृदय की व्यथा। किंचितमात्र भी मुझको ना सुखों आभास हुआ। नियति के हाथों मेरा कैसा
Read Moreपांच सौ साल पहले कबीर ने साधु को पहचानने की यह निशानी बताई थी – “साधु ऐसा चाहिए, जैसा सूप
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