भजन/भावगीत

भजन

माया में फंसकर जीव तूने, सुन्दर जीवन गंवाया रे।
जाग जा अब भी सोच, क्या खोया क्या पाया रे।

मन चंचल रहा पल-पल भ्रमाता, इसकी सुन ली बहुत;
चेतन कर दे आत्मा को, समझ जा इसकी माया रे।

कहते हर बार साहिब जी, गर सुने कोई ध्यान से;
नाम दान देकर बार -बार, तुझे साहिब ने चेताया रे।

मिल जाएगी सच्ची खुशी, मन में तू यह ठान ले;
सत्संग का रस पान कर ले, शब्दों में यही समझाया रे।।।
कामनी गुप्ता ***

कामनी गुप्ता

माता जी का नाम - स्व.रानी गुप्ता पिता जी का नाम - श्री सुभाष चन्द्र गुप्ता जन्म स्थान - जम्मू पढ़ाई - M.sc. in mathematics अभी तक भाषा सहोदरी सोपान -2 का साँझा संग्रह से लेखन की शुरूआत की है |अभी और अच्छा कर पाऊँ इसके लिए प्रयासरत रहूंगी |

4 thoughts on “भजन

  • लीला तिवानी

    प्रिय सखी कामनी जी, बहुत खूब, सत्संग के रस पान से सच्ची खुशी मिल सकती है. एक सटीक व सार्थक रचना के लिए आभार.

  • लीला तिवानी

    प्रिय सखी कामनी जी, बहुत खूब, सत्संग के रस पान से सच्ची खुशी मिल सकती है. एक सटीक व सार्थक रचना के लिए आभार.

    • कामनी गुप्ता

      बहुत धन्यवाद जी।

    • कामनी गुप्ता

      बहुत धन्यवाद जी।

Comments are closed.