लघुकथा

रब की इनायत

अनिता सैर करके आई ही थी, कि जीवन ने जाली के दरवाज़े की आवाज़ सुनकर पर्दे से झांककर देखा. अनिता मुस्कुराहट से चहक रही थी. उम्रदराज होने के बावजूद बहुत सुंदर अनिता मुस्कुराहट से और अधिक खूबसूरत लग रही थी. गुलाबी टॉप के साथ चांदी-से सफेद बालों से मैच करती मोती-माला, घड़ी, कंगन, ब्रेसलेट उसकी खूबसूरती में हज़ार चांद लगा रहे थे. जीवन ने भी चहककर कहा-
”भागवान आज सुबह-सुबह इतनी मुकुराहट का रहस्य जान सकता हूं?”
”क्यों नहीं?” अनिता ने हंसते हुए कहा, ”आपने ही तो कल कविता में एक मंत्र दिया था-
”मुस्कुराते रहिए, कि मुस्कुराहट खुदा की इबादत है,
वही मुस्कुरा सकता है, जिस पर रब की इनायत है.”
”सही कहा” जीवन बोला, ”लेकिन क्या सुबह-सुबह रब ने इनायत कर दी है क्या?”
”रब की इनायत तो हम पर हर पल बरसती है, पर तड़के-तड़के की बात भूल गए क्या? तुम तो कहते हो, कि उम्रदराज होने पर भी तुम भुलक्कड़ बिलकुल नहीं हो!”
”अरी भागवान, भूला कुछ नहीं हूं, बस तुम्हारी ज़बानी सुनना चाहता हूं.” जीवन ने कहा.
”अरे भाई आज मैं बुढ़िया से बच्ची जो बन गई हूं.” अनिता ने चुहल की, ”तुम्हें पता ही कहां होगा, तुम तो नींद के खुमार में थे. मैं जैसे ही जगी, रोज़ की तरह अंगड़ाई लेकर, एक और नया सुखभरा-सुनहरी दिन दिखाने के लिए परमात्मा के शुकराने करते हुए ”हरि ओम तेरा आसरा, हरि ओम तेरी ओट” बोली. आज ज़रा आवाज़ ज़ोर से हो गई थी, सो बहू अपने दोनों बच्चों को छोड़कर भागी आई और बोली- ”ममी जी, आप ठीक तो हैं न!” मैंने कहा- ”हां-हां बिटिया मैं बिलकुल ठीक हूं.” तुम तो फिर भी कहने लगे, ”सोने दो ना, भई.” बस वही बहू की बात याद करके पूरी सैर पर भी अपने बच्ची होने का अहसास मुझे हंसाता रहा. यह रब की इनायत ही तो थी.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244