क्षणिका
साँपों की कूँज में आँखो की मूँद में पत्तों मे से गुजरती हूँ बनकर हवा खिड़की तो खोलो मेरा नाम
Read Moreभारत की राजनीति अल्पसंख्यकवाद पर टिकी हुई है। लोकसभा व विधानसभा चुनाव आते ही सभी दल अल्पसंख्यकों के हितों को
Read Moreदेश की दशा को देख मन मेरा बेहाल हैं। बार बार मन मेरा ये कर रहा सवाल है। किसको है
Read Moreगर्मी है या सर्दी है पता नहीं चल रहा है नोटों के चलन अचलन से विचलित है सबका मन आग
Read Moreकतार में परेशानी हो रही हो मस्तिष्क काम न कर रहा हो आजादी के गीत गाओ कतार में मुद्रा महाकुम्भ
Read Moreहो चुका है तुम भी आओ बहती गंगा में स्नान कर लो सब गुप्त रहेगा सामूहिक त्यागपत्र की संख्या भी
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