गीतिका/ग़ज़ल

तुझे पाने की उम्र भर मेरी चाहत बनी रहे

तुझे पाने की उम्र भर मेरी चाहत बनी रहे
तुमसे मिलने की हमेशा ये आदत बनी रहे

जितने गिले शिकवे करना है कर ले
मगर पहले जैसे ही मोहब्बत बनी रहे

मॉगती हुँ रब से हर दुआ मे तुमको
खुदा करें ये प्यार सलामत बनी रहें

तेरा मेरा साथ कभी न छूटे क्योकि
तुझे देख उलझन मे भी हिम्मत बनी रहें

तेरे जीवन मे कर जाऊ कुछ ऐसा
कि तुझे ‘निव्या’ की जरूरत बनी रहे|

निवेदिता चतुर्वेदी ‘निव्या’

निवेदिता चतुर्वेदी

बी.एसी. शौक ---- लेखन पता --चेनारी ,सासाराम ,रोहतास ,बिहार , ८२११०४