कविता

बहुत दिन बाद

बहुत दिन बाद गदहों को
गधो की याद आई है
रखा अपनों से हमको दूर
तेरी कैसी खुदाई है
हम इनके बाप है लेकिन
कभी मामा भी कहते है
समय की बात है
इसमें कहा कोई बुराई है
हमें ए भूल जाते है
इन्हें हम याद रखते है
करे क्या आखिरस ए सब
मेरे ही छोटे भाई है
गन्दगी ए बढ़ाते है
गन्दगी हम उठाते है
बुराई इनकी अच्छाई
मेरी अच्छाई बुराई है
चलो कुछ देर से ही सही
इन्हें हम याद तो आये
बचाए रखों यह रिस्ता
इसीमें अब भलाई है
मुझे क्या फर्क पड़ता है
तुझे कुर्सी मुबारक हो
मुझे बदनाम करते हो
तेरी कैसी लड़ाई है
अडिग हु आजतक आवाज
और अपने चेहरे पर
हजारो रूप तुम बदले
मुझमे कोई बदलाव पाई है

राजेन्द्र प्रसाद पाण्डेय

रिटायर्ड उत्तर प्रदेश परिवहन निगम वाराणसी शिक्षा इंटरमीडिएट यू पी बोर्ड मोबाइल न. 9936759104