स्वास्थ्य

भापस्नान की सरल विधि

यदि भापस्नान के लिए केबिन या डिब्बे की सुविधा न हो तो आप निम्नलिखित विधि द्वारा अपने घर पर ही भापस्नान ले सकते हैं। इसके लिए निम्नलिखित वस्तुएं चाहिए-

1. एक स्टूल, जो इतना ऊँचा हो कि उस पर बैठकर पैर जमीन पर टिकाये जा सकें। आवश्यक होने पर पैरों के नीचे ईंट रखी जा सकती है। यदि स्टूल जालीदार हो तो बेहतर, नहीं तो साधारण स्टूल से ही काम लिया जा सकता है।

2. भाप बनाने का डिब्बा। बाजार में आता है जिसमें पानी भरकर बिजली से भाप बनायी जा सकती है। इस डिब्बे को स्टूल के नीचे इस प्रकार रखना चाहिए कि उसमें से भाप निकले तो सीधे पैरों पर न आये बल्कि सभी ओर फैल जाये। इसके अभाव में गैस वाले चूल्हे पर प्रेशर कुकर रखकर भी भाप बनायी जा सकती है। ऐसी स्थिति में प्रेशर कुकर की सीटी निकालकर उसमें एक पाइप लगा देना चाहिए। पाइप का दूसरा सिरा स्टूल से इस प्रकार बाँध देना चाहिए कि भाप पैरों में न लगे बल्कि पीछे की ओर ही निकले।

3. प्लास्टिक का घेरा। डेढ़ मीटर चौड़ी और तीन मीटर लम्बी प्लास्टिक की एक शीट ले आइए। उसके एक किनारे पर नाड़ा डालने के लिए मोड़कर लगभग दो इंच चौड़ाई में मोटा-मोटा सिल लीजिए। फिर उसको इस तरह सिलकर गोल कर लीजिए जैसे महिलाओं का पेटीकोट होता है। उसमें पर्याप्त लम्बाई का नाड़ा डाल लीजिए। यदि प्लास्टिक न मिले तो ऐसा घेरा मोटे कपड़े जैसे मारकीन या तिरपाल का भी बनाया जा सकता है।

जब भापस्नान लेना हो तो निम्नलिखित कार्य करें। कुछ कार्यों में किसी अन्य व्यक्ति की सहायता लेना आवश्यक है।
1. सबसे पहले मल-मू़त्र विसर्जन कर आयें।
2. एक गिलास ठंडा पानी पी लें।
3. सब कपड़े उतार कर केवल एक तौलिया लपेट लें।
4. अब स्टूल पर बैठकर प्लास्टिक का घेरा ऊपर से इस प्रकार पहन लें कि स्टूल और पैरों सहित सारा शरीर ढक जाये, केवल सिर बाहर निकला रहे और घेरा जमीन को छूता रहे।
5. अब नाड़े को खींचकर घेरे को गले के चारों ओर थोड़ा सा हल्का टाइट कर दें, जिससे भाप बाहर न निकले और गला भी न घुट जाये।
6. अब भाप चालू कर दें और तौलिया हटा दें। भाप चालू करते ही शरीर जरा सा गर्म होते ही पसीना छोड़ना शुरू कर देगा। भीतर ही भीतर हाथों से शरीर की मालिश करते रहिये।
7. पर्याप्त पसीना आ जाने पर और शरीर पर्याप्त गरम हो जाने पर तौलिया फिर लपेट लें।
8. अब नाड़े को ढीला करके घेरे को उठाकर सिर के ऊपर ले जाकर बन्द कर लें। लगभग एक मिनट तक चेहरे पर भाप लगने दें।
9. भाप बन्द करके घेरा हटा लें और तुरन्त बाथरूम में जाकर ठंडे पानी से शरीर को अच्छी तरह धो लें। कोई साबुन न लगायें, केवल हाथ से मालिश करके शरीर को साफ करें।
10. स्नान के बाद पौंछकर कपड़े पहन लें। फिर आराम करें।

सावधानियाँ
1. भाप स्नान रोज नहीं लेना चाहिए। दो या तीन दिन छोड़कर हर मौसम में बेखटके लिया जा सकता है।
2. भाप स्नान के अगले दिन यदि सरसों के तेल से मालिश की जाये, तो बहुत लाभ होता है। इससे शरीर की चर्बी घटती है और त्वचा लटकती नहीं।

लाभ
भाप स्नान से खून की बहुत सफाई होती है, जिससे त्वचा रोगों में बहुत लाभ होता है। इससे फालतू वजन कम होता है तथा वात और कफ दोष शान्त होता है। शरीर में खून का दौरा तेज होता है, जिससे सभी रोगों में लाभ मिलता है। मोटापा कम होता है तथा थायराइड आदि बीमारियों में बहुत लाभ मिलता है।

विजय कुमार सिंघल

डॉ. विजय कुमार सिंघल

नाम - डाॅ विजय कुमार सिंघल ‘अंजान’ जन्म तिथि - 27 अक्तूबर, 1959 जन्म स्थान - गाँव - दघेंटा, विकास खंड - बल्देव, जिला - मथुरा (उ.प्र.) पिता - स्व. श्री छेदा लाल अग्रवाल माता - स्व. श्रीमती शीला देवी पितामह - स्व. श्री चिन्तामणि जी सिंघल ज्येष्ठ पितामह - स्व. स्वामी शंकरानन्द सरस्वती जी महाराज शिक्षा - एम.स्टेट., एम.फिल. (कम्प्यूटर विज्ञान), सीएआईआईबी पुरस्कार - जापान के एक सरकारी संस्थान द्वारा कम्प्यूटरीकरण विषय पर आयोजित विश्व-स्तरीय निबंध प्रतियोगिता में विजयी होने पर पुरस्कार ग्रहण करने हेतु जापान यात्रा, जहाँ गोल्ड कप द्वारा सम्मानित। इसके अतिरिक्त अनेक निबंध प्रतियोगिताओं में पुरस्कृत। आजीविका - इलाहाबाद बैंक, डीआरएस, मंडलीय कार्यालय, लखनऊ में मुख्य प्रबंधक (सूचना प्रौद्योगिकी) के पद से अवकाशप्राप्त। लेखन - कम्प्यूटर से सम्बंधित विषयों पर 80 पुस्तकें लिखित, जिनमें से 75 प्रकाशित। अन्य प्रकाशित पुस्तकें- वैदिक गीता, सरस भजन संग्रह, स्वास्थ्य रहस्य। अनेक लेख, कविताएँ, कहानियाँ, व्यंग्य, कार्टून आदि यत्र-तत्र प्रकाशित। महाभारत पर आधारित लघु उपन्यास ‘शान्तिदूत’ वेबसाइट पर प्रकाशित। आत्मकथा - प्रथम भाग (मुर्गे की तीसरी टाँग), द्वितीय भाग (दो नम्बर का आदमी) एवं तृतीय भाग (एक नजर पीछे की ओर) प्रकाशित। आत्मकथा का चतुर्थ भाग (महाशून्य की ओर) प्रकाशनाधीन। प्रकाशन- वेब पत्रिका ‘जय विजय’ मासिक का नियमित सम्पादन एवं प्रकाशन, वेबसाइट- www.jayvijay.co, ई-मेल: jayvijaymail@gmail.com, प्राकृतिक चिकित्सक एवं योगाचार्य सम्पर्क सूत्र - 15, सरयू विहार फेज 2, निकट बसन्त विहार, कमला नगर, आगरा-282005 (उप्र), मो. 9919997596, ई-मेल- vijayks@rediffmail.com, vijaysinghal27@gmail.com